औरत अपनी ज़िंदगी में बहुत से रोल अदा करती हैं जैसे बेटी, बहन, माँ और बहु। इसमें से कुछ रिश्ते जैसे बेटी, बहन का रिश्ता उसे जन्म से ही मिलता है। माँ बनना और बहु का रिश्ता वे खुद चुनती है। औरत होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसने माँ बनना है। माँ बनना हर औरत की व्यक्तिगत पसंद है। इस पर किसी के चरित्र या उसके जेंडर पर सवाल उठाना बिल्कुल ग़लत है।
Motherhood is a Personal Choice/क्या औरत का मां बनना है जरूरी?
माँ बनना व्यक्तिगत पसंद है
इस बात पर बहुत लोग सवाल उठा सकते है लेकिन एक औरत को अपने लिए फैसला लेने का बिल्कुल हक़ है। अगर यही बात एक मर्द कहे कि उसे पिता नहीं बनना अभी वह उसके लिए तैयार नहीं है तब समाज इस बात को समझता है किंतु यहीं बात अगर औरत कहें तो कोई नहीं समझता है। औरत को बच्चे के बिना संपूर्ण नहीं समझा जाता है।
बच्चों से नफ़रत नहीं है
यह भी कहा जाता है जो औरत बच्चे नहीं चाहती है वे बच्चों से नफ़रत करती है। इसका मतलब यह नहीं है कि अगर औरत माँ नहीं बनना चाहती है तो उसे किड्स से नफ़रत है इसके और भी बहुत कारण हो सकते है।
सेल्फ़िश नहीं है
अगर कोई औरत माँ नहीं बनना चाहती है तो आप यह भी सोचना बंद कर दीजिए कि वह सेल्फ़िश नहीं है। औरत की खुद की बॉडी है उसकी मर्ज़ी है वह चाहे बच्चा करें या नहीं इस बेसिस पर उसे सेल्फ़िश मानना बिल्कुल सही नहीं है। यह औरत का खुद का फैसला है और इसकी कोई भी वजह हो सकती है। अगर कोई वजह ना भी हो तब भी उसे सेल्फ़िश कहना जायज़ नहीं है।
इस चीज़ के कोई सफ़ाई देने की जरूरत नहीं है
अगर कोई औरत माँ बनना नहीं स्वीकार करती है इसके लिए उसे कोई सफ़ाई देने की जरूरत नहीं है। यह उसका अपना निजी फैसला है। इस बात पर उसे चाहे पति, परिवार वाले या रिश्तेदार हो उसे कोई एतराज नहीं होना चाहिए।