Reject Beauty Standards: राजकुमारियाँ सिर्फ पतली और खूबसूरत नहीं होतीं

हमारा समाज सदियों से सुंदरता और शारीरिक बनावट के कठोर मानकों को बढ़ावा दे रहा है। इसका प्रभाव हमारे बच्चों पर भी पड़ता है, खासकर लड़कियों पर। वे यह मानने लगती हैं कि राजकुमारियाँ केवल पतली और खूबसूरत होती हैं।

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Dibya Debasmita Pradhan
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Princess don’t have to be thin and beautiful

Image Credit: Pinterest

Redefining Princess Myths That They Have to Be Beautiful and Thin: हमारा समाज सदियों से सुंदरता और शारीरिक बनावट के कठोर मानकों को बढ़ावा दे रहा है। इसका प्रभाव हमारे बच्चों पर भी पड़ता है, खासकर लड़कियों पर। वे यह मानने लगती हैं कि राजकुमारियाँ केवल पतली और खूबसूरत होती हैं। यह धारणा न केवल उनकी आत्मछवि पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को भी कमजोर करती है।

Reject Beauty Standards: राजकुमारियाँ सिर्फ पतली और खूबसूरत नहीं होतीं

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हकीकत यह है कि सुंदरता विविधता में है। हर लड़की, चाहे वह किसी भी आकार, रंग या रूप की हो, अपने आप में खास और अनूठी है। राजकुमारियों का वास्तविक अर्थ उनके गुणों, जैसे कि साहस, बुद्धिमत्ता, दयालुता और सहानुभूति में निहित है। उन्हें केवल शारीरिक सुंदरता तक सीमित करना उनके असली मूल्यों और क्षमताओं को नजरअंदाज करना है।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग ने इस धारणा को और मजबूत किया है। टेलीविजन शो, फिल्में, और किताबें, सभी ने हमें राजकुमारियों की ऐसी छवि दिखाई है, जो एक ही सांचे में फिट बैठती है - पतली, लंबी और बेहद खूबसूरत। इस प्रकार की प्रस्तुति ने लड़कियों के मन में एक गलत मानक स्थापित कर दिया है, जो उन्हें यथार्थ से दूर करता है।

सुंदरता ही सिर्फ़ आपकी पहचान नहीं हैं

फिल्म ‘बार्बी’ ने बड़े खूबसूरत तरीके से यह दिखाया है कि झुर्रियों का आना या वजन बढ़ना सामान्य है और यह शरीर के बदलाव का ही हिस्सा है। बचपन से हमने देखा है कि बार्बी या प्रिंसेस हमेशा खूबसूरत और पतली रहती हैं, और यही उनकी पहचान होती है। लेकिन 'बार्बी' फिल्म ने इस सोच को चुनौती देते हुए नई दिशा दी है।

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वहीं, वेब सीरीज़ 'ब्रिजर्टन' के सीज़न 2 और 3 ने भी इस स्टीरियोटिपिकल सोच को तोड़ा है। सीज़न 2 में, राजकुमारी का रंग काला था, लेकिन फिर भी वह प्रिंस के लिए खूबसूरत थी। सीज़न 3 में, राजकुमारी मोटी थी, फिर भी प्रिंस के लिए वह सुंदरता का प्रतीक थी। ये सीरीज़ यह दिखाती हैं कि यह सोच गलत है कि लोग आपको को तभी प्यार करेंगे जब आप गोरे और पतले होंगे। आप प्यार व्यक्ति से करते हैं, न कि उनकी शारीरिक बनावट से।

हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि असली सुंदरता आंतरिक गुणों में है। उन्हें यह समझाना चाहिए कि हर इंसान की अपनी अलग पहचान होती है और सभी अपनी तरह से खास होते हैं। बच्चों को विविधता की स्वीकार्यता और सम्मान के महत्व को समझाना चाहिए।

सकारात्मक रोल मॉडल बने

हमें ऐसे रोल मॉडल्स को भी प्रस्तुत करना चाहिए जो वास्तविक जीवन में सफलता और सकारात्मकता के प्रतीक हों। ऐसी महिलाएं और राजकुमारियाँ, जो अपने कार्यों और गुणों से समाज में बदलाव ला रही हैं, और जो अपने शारीरिक स्वरूप से परे जाकर एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं, उन्हें सामने लाना चाहिए। समाज में सुंदरता और शारीरिक बनावट के इस कठोर मानकों को तोड़ने का समय आ गया है।

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