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Photograph: (Pinterest )
The Truth Behind Slut-Shaming: जब भी किसी महिला के साथ छेड़खानी होती है या फिर उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है तो आम तौर पर दोषी महिलाओं को ही ठहराया जाता है। अगर आप अपने आसपास भी देखें तो अगर पुरुष कुछ गलत करते हैं तो महिला को यह कहा जाता है कि अगर तुम ऐसा नहीं करती तो वह तुम्हारे साथ गलत व्यवहार नहीं करता। ऐसी मानसिकता के चलते महिलाओं को बहुत कुछ झेलना पड़ता है और उनकी कोई सुनवाई भी नहीं होती है। इसके साथ ही महिलाओं को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है जिसके कारण महिलाएं अपने साथ होने वाले गलत व्यवहार के बारे में बात नहीं करती। आज हम बात करेंगे कि कैसे महिलाओं के कपड़ों से उन्हें जज किया जाता है और उनके साथ होने वाले गलत व्यवहार को ही रद्द कर दिया जाता है।
इतने छोटे कपड़े पहनती हैं, लड़के तो छेड़खानी करेंगे ही न", औरतों पर इल्ज़ाम कब तक?
जब भी किसी लड़की के साथ कुछ गलत होता है तो सबसे पहले यह पूछा जाता है कि उस लड़की ने क्या कपड़े पहने थे। यह कितनी गलत और बुरी बात है कि जिस व्यक्ति के साथ गलत हुआ है, उसे सहानुभूति या फिर उसे सपोर्ट करने कि बजाय आप उससे ही पूछताछ कर रहे हैं।
आपको कोई मतलब नहीं है कि महिला किस स्थिति से गुजर रही है या फिर उसकी मानसिकता पर इसका क्या असर पड़ रहा है लेकिन आपको यह जानना है कि उसने क्या कपड़े पहने थे और फिर अगर उसके कपड़ों में आपको कुछ भी खराबी नजर आती है तो फिर आप उसके साथ होने वाले अपराध को बिल्कुल ही रद्द कर देते हो क्योंकि आपको लगता है कि अगर उसने ऐसे कपड़े पहने है तो उसके साथ ऐसा ही होना था।
हमारे समाज में न जाने कितनी महिलाएं अपनी मनपसंद के कपड़े पहन नहीं पाती या फिर अगर उनके साथ अपराध हो जाता है तो वे उसके बारे में बात करना जरूरी नहीं समझती क्योंकि उन्हें पता है कि आखिर में अपराधी खुलेआम घूमेगा।
औरत की ज़िंदगी, समाज का फैसला
अगर महिला रिवीलिंग क्लॉथ पहनती है तो ऐसा समझ लिया जाता कि यह लड़की सेक्सुअली अवेलेबल है या फिर अब हम इसके साथ कुछ भी गलत व्यवहार कर सकते हैं। बहुत सारे पुरुषों की मानसिकता इस हद तक खराब है कि उन्हें लगता है कि अगर लड़की के कपड़े छोटे हैं या फिर रिवीलिंग हैं तो हमें कंसेंट लेने की जरूरत नहीं है। ऐसी लड़की खुद ही हमें इजाजत दे रही है कि हम उसके साथ कुछ भी कर सकते हैं।
समाज को अपना यह दोगलापन खत्म करने की जरूरत है, जहां पर लड़के परिवार में बिना शर्ट के या फिर बिना कपड़ों के भी घूम सकते हैं लेकिन महिलाओं को हमेशा दुपट्टा लेने के लिए कहा जाता है या फिर उन्हें अपना शरीर पूरा ढकने के लिए कहा जाता है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकिन ही महिलाओं को दोष दिया जाता है जबकि यहां पर पूछताछ पुरुषों से होनी चाहिए, दोषी अपराधी की ही मानना चाहिए।