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हर बात के महिलाओं को Blame करना क्या सही है?

मारा नजरिया ऐसा बन चुका है कि लड़कियां डिग्रेड होती है। हर चीज के लिए इन्हें ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। ऐसा लड़कियों के बारे में माना जाता है कि ये सेंसिटिव और कमजोर होती हैं ।

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Rajveer Kaur
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women leadership (pinterest)

(Image Credit: pinterest)

How Blaming To Women Is Right: हमारे समाज में महिलाओं के साथ बहुत गलत होता आ रहा है। आपने परिवारों में एक चीज देखी होगी जब भी कोई भी चीज गलत होती है, उसका दोष  महिला पर डाल दिया जाता है। क्या यह सोच सही है? क्यों हर चीज के लिए लड़की को जिम्मेदार ठहराया जाता है? लड़कों की जिम्मेदारी कुछ नहीं है? यह सोच हमारे लोगों के बीच में से कब जाएगी। चलिए इस बारे में बात करते हैं-

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हर बात के महिलाओं को Blame करना कितना सही ?

आपने अपने आसपास ऐसा होता बहुत बार देखा होगा। मान लीजिए लड़के का कारोबार शादी से पहले अच्छा चल रहा था लेकिन तुरंत ही उसकी शादी हो गई और उसके कारोबार में गिरावट आने लग गई। अब समाज इसका ब्लेम महिला पर थोपेगा। क्यों ऐसा होता है? इसके और भी कारण हो सकते हैं। हमारा नजरिया ऐसा बन चुका है कि लड़कियां डिग्रेड होती है। हर चीज के लिए इन्हें ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। ऐसा लड़कियों के बारे में माना जाता है कि ये सेंसिटिव और कमजोर होती हैं । इन्हें जो मर्जी कह सकते हैं, लेकिन यह सामने से पलट कर जवाब नहीं दे सकती। जो महिलाएं जवाब देती है उनको समाज में बदनाम किया जाता है

लड़के अपनी जिम्मेदारियां से भाग सकते हैं

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हमारे समाज में आज भी लड़की के जन्म होने पर दुःख मनाया जाता है। जिस घर में लड़की पैदा हुई होती है, लोग उस घर में जाकर अफसोस करते हैं कि तुम्हारे कर्म अच्छे नहीं थे, इस कारण तुम्हें  लड़की हुई है। इसके बाद अगर पिता के काम में कुछ अड़चन आने लग जाए या घर में कोई समस्या आ जाए तो दोष उस नन्ही बच्ची डाल ऊपर दिया जाता है। लड़का शराब पीने लग जाए, नशेड़ी हो, अपनी  जिम्मेदारियां ना समझे, मां-बाप के साथ बुरा व्यवहार करें और पत्नी को मारे। लेकिन तो लड़का 'राजा बेटा' है उससे तो कोई गलती हो ही नहीं सकती। 

लड़कियों को तो होशियार होना पड़ेगा 

ऐसे रवैया के प्रति लड़कियों को होशियार होने की बहुत ज्यादा जरूरत है क्योंकि जब वह होशियार होंगी समाज के ऐसे उनके ऐसे रवैयाका पलट कर जवाब देंगी, तब ही स्थितियां समान होने लगेगी। अब वह समय नहीं रहा जब हम चुप रहकर सब कुछ सहन करते जाएं। जहां हम मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं , वहां हमें ऐसे रवैया के प्रति भी आवाज उठाने की जरूरत है। क्यों हम मर्दों के हर चीज का बोझ अपने कंधों पर उठाएं?

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हम भी इंसान हैं और हर चीज में परफेक्ट नहीं हो सकते।  हमारे अंदर भी भावनाएं होती हैं। हमें भी दुख लगता है। इन सब का असर हमारी मानसिकता पर भी पड़ता है। यह बात कोई नहीं समझता लेकिन खुद को समझनी होगी। अगर आपका कोई सहारा नहीं बन रहा,आप खुद का सहारा बनिए। आप बिल्कुल भी कमजोर नहीं है, आपने 9 महीने बच्चे को पेट में रखा और इतने दर्द सहने के बाद उसे जन्म दिया। आप हर महीने के कम से कम 3 से 4 दिन पीरियड पेन से गुजरती है तो ऐसे में अपने आप को कमजोर मत समझें। आप बेस्ट है बस जरूरत है हिम्मत की। जितनी देर आप सहती जाएगी उतना ही आपके साथ अत्याचार होता जाएगा।

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