Advertisment

महिला को देवी का दर्जा तो दिया, लेकिन बराबरी का हक क्यों नहीं?

हमारे समाज की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि हम महिलाओं को देवी का दर्जा देते हैं लेकिन उनके साथ व्यवहार इंसानों जैसा भी नहीं करते हैं। हमारे समाज में महिलाओं के जन्म पर उन्हें लक्ष्मी कहा जाता है।

author-image
Rajveer Kaur
New Update
women

Photograph: (Image Credit: Pinterest)

The Unfinished Fight for Women's Equality: हमारे समाज की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि हम महिलाओं को देवी का दर्जा देते हैं लेकिन उनके साथ व्यवहार इंसानों जैसा भी नहीं करते हैं। हमारे समाज में महिलाओं के जन्म पर उन्हें लक्ष्मी कहा जाता है। इसके साथ ही उनकी पूजा की जाती है लेकिन जब बात बराबरी और अधिकारों की आती है तो उनकी कोई सुनवाई नहीं है। आज भी महिलाओं को देवी कहने वाले लोग बेटी को जन्म से पहले ही मार देते हैं। इसके साथ ही महिलाओं के साथ दहेज, घरेलू हिंसा और शारीरिक शोषण बिल्कुल आम है और महिलाओं को यह सब सहन करने की सलाह दी जाती है। चलिए आज इस बारे में बात करते हैं-

Advertisment

महिला को देवी का दर्जा तो दिया, लेकिन बराबरी का हक क्यों नहीं?

महिलाओं से 'इंसान' होने का हक्क खो लेते हैं

सबसे पहले जब हम किसी महिला को देवी का दर्जा देते हैं तो इसे हम उससे इंसान होने का हक खो लेते हैं क्योंकि देवी शब्द बहुत बड़ा है और इससे महिलाओं के प्रति अपेक्षाएं भी बढ़ जाती हैं जैसे उनसे कोई गलती नहीं होनी चाहिए या फिर उनके ऊपर पूरे घर की इज्जत की जिम्मेदारी है। बचपन से ही महिलाओं को यह बताया जाता है कि उन्हें कोई ऐसा नहीं काम करना है जिससे परिवार की इज्जत को खतरा हो। इससे महिलाओं को हम बहुत ज्यादा बाधित कर देते हैं। 

Advertisment

महिलाओं के साथ मानसिक रूप से शोषण किया जाता है अगर किसी महिला ने वेस्टर्न कपड़े पहने हैं तब उनके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। । इसके साथ ही लड़कियों की शादी भी जल्दी कर दी जाती है। ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो महिलाओं को परेशान करती हैं लेकिन वे उनके बारे में बात नहीं करती। अगर हम महिलाओं के देदेवी मानते हैं तो यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि हम सिर्फ बातों में ही महिलाओं को रिस्पेक्ट और वैल्यू करते हैं। जब हमारे एक्शंस की बात आती है तो हम उनके साथ इंसानों जैसा व्यवहार भी नहीं करते।

महिलाएं के साथ दरिंदगी की खबरें आज भी आम 

आज भी महिलाएं बाहर निकलने में सुरक्षित महसूस नहीं करती। रात में महिलाएं अकेले में ट्रैवल करने से डरती हैं। महिलाओं को हर पुरुष के ऊपर शक रहता है और अपनी सुरक्षा के लिए किसी टूल को पास रखना पड़ता है। क्या पुरुषों को ऐसे डर में जीना पड़ता है? यह सब आसान नहीं है। परिवार की इज्जत की जिम्मेदारी और समाज की बातों का बोझ लेकर चलना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। अगर महिला से कुछ भी ऐसा हो जाता है जो सामाजिक बातों के अनुसार नहीं है तो उसकी जिंदगी बहुत ज्यादा बत्तर बन जाती है। हमारे यहां तो रेप होने पर भी लड़की को ही दोषी ठहराया जाता है। ऐसे में जब यह बोला जाता है कि लड़की तो देवी का रूप है तो इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है।

Advertisment