When Will We Start Talking About Mental Health Of Men? आज के समय में पुरुषों की मेंटल हेल्थ पर बात करना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर अब हमें सोच विचार करने की जरूरत है। हमारे समाज में जहां पर पितृसत्तात्मक सोच ने महिलाओं के इमोशंस को रद्द किया है या फिर उन्हें खुद को व्यक्त करने से रोका है वहीं पर पुरुषों पर भी बंदिशें लगाई गई हैं जैसे लोग उनके इमोशंस को समझने की कोशिश नहीं करते हैं। ऐसी सोच के कारण उन्हें यह भी नहीं लगता हैं कि एक पुरुष के साथ भी अन्याय हो सकता है या फिर वह भी किसी अन्याय का शिकार हो सकता है। आज हम बात करेंगे कि पुरुषों की मेंटल हेल्थ पर बात करना क्यों जरूरी हो गया है?
पुरुषों की मेंटल हेल्थ पर कब होगी बात शुरू
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो को वायरल हो रही है जिसमें बेंगलुरु में रहने वाले AI सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने आप बीती लोगों को बताई। अतुल ने 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो जारी किया। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम 24 पेज का लेटर भी लिखा है। दरअसल अतुल सुभाष अब इस दुनिया में नहीं है। उन्होंने खुदकुशी कर ली है। इसका दोष उन्होंने अपने पत्नी पर लगाया है और इस मामले में चार लोगों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज भी की है।
अतुल ने वीडियो में बताया है कि उनके पास आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं था क्योंकि उनकी पत्नी और ससुराल की तरफ से उन्हें लगातार पैसों के लिए परेशान किया जा रहा था। उनकी पत्नी उनके साथ नहीं रहती थी और ना ही उनके बच्चों से मिलने देती थी। अतुल की शादी 2019 में एक मैट्रिमोनियल साइट के जरिए से हुई थी। शादी के 1 साल बाद उन्हें एक बेटा भी हुआ था। उसके बाद से ही उनकी पत्नी और ससुराल की तरफ से लगातार पैसे की डिमांड की जा रही थी जिसे वह पूरा नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने जज पर भी आरोप लगाए हैं कि उन्होंने भी मामला रफा-दफा करने की कोशिश की है। अतुल ने यह भी कहा कि जब तक लोगों तक यह वीडियो पहुंचेगी तब तक वह अपनी जान खत्म कर चुके होंगे।
देश में 2022 वर्ष के दौरान कुल 1,70,924 आत्महत्याएँ दर्ज की गईं, जो 2021 की तुलना में 4.2% की वृद्धि दर्शाती हैं और 2022 के दौरान आत्महत्या की दर 2021 की तुलना में 3.3% बढ़ी है। वर्ष 2022 में आत्महत्या पीड़ितों का कुल पुरुष:महिला अनुपात 71.8:28.2 था, जो वर्ष 2021 (72.5:27.4) की तुलना में कम है।
ऐसी घटना को सुनते हुए 1 मिनट के लिए आपकी आंखें भी नम हो जाती हैं। यह एक ऐसी घटना है जो ब्यान करती है कि पुरुषों के साथ भी अन्याय होता है और कई बार वे भी हेल्पलेस हो जाते हैं या फिर उन्हें भी वोह मदद नहीं मिलती है जो उन्हें चाहिए होती है जिसके कारण उनकी मेंटल हेल्थ बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। अब समय आ गया है कि हम पुरुषों के ऊपर बढ़ रहे प्रेशर और स्ट्रेस को कम करें क्योंकि जब वह बहुत ज्यादा मानसिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं और कोई भी उन्हें सपोर्ट नहीं करता है तो गुस्से मे आकर वे अपनी जान ही खत्म कर देते हैं जो कि कोई छोटी बात नहीं है।
इसके साथ ही शादी जैसे बड़े फैसले को FOMO में आकर नहीं लेना चाहिएं। जब आप शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार है तभी आपको शादी करनी चाहिए। इसके साथ ही हमें पुरुषों के लिए एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां पर वह खुलकर बात कर सके और उनके इमोशंस को भी वैलिडेट किया जा सके। अब हमें ऐसी बातें बोलनी बंद करनी होगी कि 'मर्द को दर्द नहीं होता है' या फिर असली मर्द वही होता है जो सब कुछ खुद ही सहन लेता है। पुरुषों को भी सहारे की जरूरत की होती है लेकिन बात सिर्फ इतनी है कि वह समाज के डर से बताते नहीं है और ना ही उन्हें सपोर्ट मिलता है। महिलाओं को भी चाहिए कि घर की आर्थिक जिम्मेदारियां सिर्फ पुरुषों के ऊपर ही ना हो बल्कि वे भी इसमें इनका साथ दे क्योंकि जैसे घर का काम अकेले औरत की जिम्मेदारी नहीं है वैसे पैसा कमाना भी सिर्फ पुरुष की जिम्मेदारी नहीं है।