How Modern Women Has Ever To Do So Much Alone: यह बात सुनने में शायद सच न लगे लेकिन जब आप इसे समझने की कोशिश करेंगे तो आपको महिलाओं की असलियत में बारे में पता चलेगा। आज के युग में 'मॉडर्न वुमन' होना बिल्कुल भी आसान नहीं है। आज तक महिलाओं ने उतना काम नहीं किया जितना आज की महिला कर रही है। घर और जॉब को बैलेंस करते-करते महिलाएं थक जाती हैं। इसके बीच उन्हें मां बनने की जिम्मेदारियां के भी पूरा करना है। उनकी जिम्मेदारियां की लिस्ट खत्म ही नहीं होती। ऐसे में महिलाएं इतना ज्यादा थक जाती है या फिर एग्जास्ट हो जाती है कि उन्हें खुद में ही गलतियां नजर आने लग जाती हैं-
कैसे मॉडर्न वुमन को पहले के मुकाबले ज्यादा बोझ सहना पड़ रहा है?
पहले के समय महिलाएं सिर्फ घर का काम करती थीं लेकिन आज की महिलाएं हर फील्ड में आगे जा रही हैं। बहुत सारे लोगों का यह तर्क होता है कि अगर महिलाएं घर और जब को बैलेंस नहीं कर पा रही है तो उन्हें घर पर बैठ जाना चाहिए या फिर उन्हें औरत होने की जिम्मेदारियां को निभाना चाहिए जैसे खाना बनाना, कपड़े धोना, बर्तन साफ करना, बच्चों की देखभाल करना या पति की सेवा करना आदि। हमारा इन लोगों से यही सवाल है कि क्या जब पुरुष जिम्मेदारियां को बैलेंस नहीं कर पाते तो उन्हें भी ऐसे बोल दिया जाता है कि आप घर पर बैठ जाओ। सब लोग उन्हें सपोर्ट करते हैं।
एक औरत, पुरुष के लिए खाना भी बनाती है, कपड़े भी धोती है, केयर भी करती है, बीमार होने पर उसकी देखभाल भी करती है लेकिन जब वुमन बीमार हो जाती है या फिर एग्जास्ट हो जाती है तो सब बोलने लग जाते हैं कि काम करने का दिखावा कर रही है या फिर उसका काम करने का मन नहीं है। यह सिर्फ सोच का ही अंतर है कि जिस वजह महिलाओं को आज ज्यादा सहन करना पड़ रहा है।
करियर की कीमत देनी पड़ती है
आज की महिलाएं अपने करियर को दांव पर नहीं लगाना चाहती। उनके लिए आर्थिक रूप से आजाद होना बहुत जरूरी है लेकिन उसकी कीमत उन्हें घर की जिम्मेदारियां को पूरा करके चुकानी पड़ती है क्योंकि ऐसा बोला जाता है कि अगर तुम घर की जिम्मेदारियां को पूरा नहीं करोगी तब तुम्हें काम करने नहीं दिया जाएगा। आज भी महिलाओं को काम करने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है। इसके साथ ही उन्हें घर आकर भी अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करना पड़ता है।
खुद को कम समझना और दूसरों से तुलना
अगर उनमें कोई भी कमी रह जाती है तो उन्हें बातें भी सुननी पड़ती हैं। इस बीच अगर वह यह भी सोच लेती है कि उन्हें बच्चा पैदा नहीं करना तो भी उनके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं या फिर उन्हें सेल्फिश बोला जाता है। इन सभी बातों के बीच सोशल मीडिया के कारण भी उन्हें FOMO महसूस होता है। उन्हें लगता है कि वह दूसरी महिलाओं की तरह परफेक्ट नहीं है या फिर उनमें कोई कमी है। इस बीच महिलाओं को बहुत ज्यादा शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक तौर पर सहन करना पड़ता है जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है और इस बात को जरुर समझें कि कैसे हम महिलाओं के लिए एक बेहतर जगह बना सकते हैं जहां पर वो आराम कर सकें।