Expectation From women: औरत जो जन्म से एक बोझ मानी जाती है। आस-पास के लोग रिश्तेदार एक औरत के जन्म होते ही माँ-बाप को सहानुभूति देने जा आते हैं लड़की हुई है कोई नहीं अगली बार लड़का हो जाएगा उससे जन्म से अपेक्षाएँ ज़्यादा की जाती हैं।माँ-बाप कहते हैं बेटी हमारी इज्जत तुम्हारे हाथ में है इसका ख़्याल रखना। इसके साथ आस-पास, रिश्तेदार सभी की इज्जत का बोझ एक औरत पर थोपा जाता है। आज के इस ओपीनीयन लेख में जानेंगे औरतों से समाज क्या चाहता है।
क्यों एक मर्द से ज़्यादा औरत से अपेक्षाएँ की जाती हैं
1. बलिदान
एक औरत से हमेशा बलिदान (sacrifice) की आशा की जाती है। जब भी परिवार में कोई बात होती है सबसे पहले माँ, बहन, पत्नी और बेटी से बलिदान की अपेक्षा की जाती है। अब शादी के बाद अगर बच्चे सम्भालने हैं तो मर्द को कोई जॉब या करियर छोड़ने को नहीं कहेगा यह बात तों स्पष्ट है कि करियर औरत ही छोड़ेगी।
2. घर के काम
सदियों से घर के काम की ज़िम्मेदारी औरतों के ऊपर है लेकिन आज जब औरत बाहर जाकर काम कर रही है फिर भी यह ही अपेक्षित किया जाता है औरत काम से आकर भी घर का काम करें क्यों दोनों बराबर भी कर सकते हैं।
3. इज्जत
लड़कों से कभी माँ-बाप की इज्जत चाहे वे नशे करें, बुरी संगत में पड़ जाए या फिर लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करें लेकिन लड़की बाहर जाकर हँस कर बात भी कर ले या फिर हक़ के लिए बोलने लग जाए समाज से बर्दाश्त नही होता है। तब बात इनकी इज्जत पर आने लग जाती है।
4. सहन करें
इस बात की भी हर एक औरत से अपेक्षा की जाती है कि वह चुप-चाप सब कुछ सहन कर जाएँ अपने मुख से कुछ बोले नहीं लेकिन जो औरतें अपने साथ हो रहे अन्याय का विरोध करती हैं उन्हें फिर यह समाज बहुत ग़लत बोलता है और उन्हें अच्छा नहीं समझता है लेकिन एक औरत ने ही नही समाज का ठेका ले रखा है।
5. बच्चों को सम्भालने की ज़िम्मेदारी
जब एक बच्चा पैदा होता है वह माँ-बाप के साँझे प्रयास से होता है लेकिन जब उसे पालने की बारी आती है तब अपेक्षा औरत से ही की जाती है पिता की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ इतनी होती है कि वह बच्चे की आर्थिक रुप से मदद करें लेकिन उसकी परवरिश की ज़िम्मेदारी माँ पर थोप दी जाती है।
एक औरत से समाज सब कुछ चाहता है लेकिन यह नहीं जानना चाहता है कि क्या चाहतीं है। औरत से सभी चाहते है वह एक perfect women बनें। क्या हमने कभी उससे पूछा वह क्या चाहती? उसकी क्या ख्वाहिश है जवाब है नहीं क्योंकि हमें औरत से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है लेकिन कुछ ऐसे भी supportive पति, भाई या पिता हैं जो चाहते हैं कि औरत उनके साथ कंधा मिलकार चलें और equality हमारे समाज में नॉर्मल हो।