Why Being Alone is Actually Good for You? ज़रा रुकिए! जरा सोचिए! अक्सर हम सुनते आए हैं - "बच्चे को अकेला मत छोड़ो, उसे अकेलापन अच्छा नहीं लगता।" या फिर, "आजकल के बच्चे अकेले रहना ही नहीं सीखते।" या और भी, "इतने उदास क्यों हो? ज़िंदगी में हमेशा खुश रहना चाहिए ना!"
कभी किसी शांत शाम को अकेले बैठे हैं और अचानक किसी रिश्तेदार का फोन आ गया है, "क्या कर रहे हो? अकेले क्यों बैठे हो?" मानो अकेला होना कोई अपराध है! या फिर अक्सर ये सुनने को मिलता है, "बच्चे का यही फायदा होता है, कभी अकेले नहीं रहना पड़ता।"
क्या अकेलापन वाकई कमजोरी है? जानिए अकेले रहने के फायदे
ज़िंदगी भर लोगों से घिरे रहना ही खुशी का पैमाना है क्या? क्या वाकई में हमेशा लोगों से घिरे रहना ज़रूरी है? क्या अकेले रहना वाकई कमज़ोरी की निशानी है? और क्या हर पल खुश रह पाना मुमकिन है?
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अक्सर ये भूल जाते हैं कि अकेलापन भी उतना ही ज़रूरी है जितना लोगों के साथ रहना। अकेलेपन को हमेशा कमज़ोरी या उदासी से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन ये सच नहीं है। आइए, थोड़ा गहराई से सोचें और समझें कि अकेलापन और थोड़ी उदासी हमारे जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा क्यों है...
कुछ समय अकेले रहना क्यों जरूरी है?
अपने आप को समझना: अकेलेपन में ही हम खुद के साथ वक्त बिता पाते हैं। अपने विचारों को समझते हैं, अपनी भावनाओं को पहचानते हैं। यही वो समय होता है जब हम जान पाते हैं कि हमें सच में क्या पसंद है और क्या नहीं।
तनाव कम करना: लगातार लोगों से मिलना-जुलना, बातचीत करना दिमाग को थका देता है। अकेलेपन में शांति से कुछ वक्त बिताने से मानसिक थकान दूर होती है और तनाव कम होता है।
आत्मविश्वास बढ़ाना: अकेले रहने का मतलब ये नहीं कि आप अकेले हैं। खुद पर निर्भर रहना सीखना और चीजों को अपने दम पर करना आत्मविश्वास बढ़ाता है।
उदास होना - बीमारी नहीं, भावना है
कभी-कभी उदास महसूस होना भी स्वाभाविक है। हर रोज़ खुश रहना मुमकिन नहीं है। अगर आप थोड़ा लो फील कर रहे हैं, तो खुद को कमजोर न समझें। ये कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक इमोशन है। इस दौरान खुद को वक्त दें, पसंदीदा चीज़ें करें या किसी अपने से बात करें।
जरूरी बात - कब लेनी चाहिए मदद
अकेलापन या उदासी अगर हफ्तों या महीनों तक बनी रहे और आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित कर रही हो, तो ये डिप्रेशन (depression) की निशानी हो सकती है। ऐसे में किसी डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।