Breaking Stereotypes: क्यों आज भी दहेज की समस्या समाज में आम है?

भारतीय समाज में दहेज सिर्फ चीजों के लेन-देन तक सीमित नहीं है। यह एक जटिल समस्या है जिसके समाधान की हमें जरूरत है। भारत में भ्रूण हत्या बहुत आम है।

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Rajveer Kaur
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Why Dowry Remains a Staple in Our Cultural Landscape? दहेज एक ऐसी प्रथा है जो आज भी हमारे समाज में खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आज भी बेटियों की हत्याएं इस कारण हो रही हैं। भारतीय समाज में दहेज सिर्फ चीजों के लेन-देन तक सीमित नहीं है। यह एक जटिल समस्या है जिसके समाधान की हमें जरूरत है। भारत में भ्रूण हत्या बहुत आम है। मां-बाप का बेटी के जन्म के समय यही डर होता है कि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम बेटी को दहेज दे सकें। बहुत सारे मां-बाप बेटियों को इस कारण पढ़ाई-लिखाई भी नहीं करवाते क्योंकि उन्हें लगता है कि बेटी की शादी में ज्यादा खर्चा आएगा। अगर आज हम उनकी पढ़ाई पर खर्च कर देंगे तो हमारे पास उनके दहेज के लिए पैसा नहीं होगा-

क्यों आज भी दहेज की समस्या समाज में आम है?

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बहुत सारे लड़के सिर्फ इसलिए शादी के लिए मना कर देते हैं क्योंकि उन्हें उनकी मांग के मुताबिक दहेज नहीं मिला होता। दहेज देने वाले और लेने वाले दोनों अपराधी होते हैं। बेटियों के परिवार पर यह प्रेशर बनाया जाता है कि आपको दहेज देना ही पड़ेगा। एक बाप अपनी बेटी ही किसी दूसरे परिवार को दे देता है लेकिन फिर भी उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह लड़के वालों की मांगों को पूरा करे। बहुत सारी महिलाएं दहेज के कारण घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं। उनके साथ मारपीट की जाती है और बहुत ही क्रूरता के साथ व्यवहार किया जाता है। 

'दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961' के प्रावधानों के अनुसार दहेज लेना या देना एक कानूनी अपराध है। इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार दहेज लेने या फिर देने में 5 वर्ष तक की सजा और 15,000 तक का जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही अगर दुल्हन के माता-पिता अपनी बेटी को कुछ ऐसे उपहार देते हैं जो उसकी जिंदगी में काम आ सकते हैं और ससुराल के लोग उसे भी छीन लेते हैं या फिर उस पर कब्जा कर लेते हैं तो भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

अगर आपको लगता है कि आप दहेज नहीं देंगे तो आपकी बेटी की शादी नहीं होगी तो यह सोच गलत है। अगर आपको दहेज के लिए परेशान किया जा रहा है तो आप कानून की मदद ले सकते हैं। एक बात आपको यह भी समझने की जरूरत है कि शादी से ज्यादा जरूरी महिला की सुरक्षा, आजादी और सशक्त होना है। अगर महिलाएं शादी के बाद भी जुर्म ही सहेंगी और अपनी खुशियों को कुर्बान कर देंगी तो ऐसी शादी का कोई फायदा नहीं है।

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माता-पिता को बेटी की शादी ऐसी जगह करने की जरूरत नहीं है जहां पर उनसे दहेज की मांग की जाती है। आप अपनी बेटी को तोहफे के तौर पर कोई चीज दे सकते हैं लेकिन अगर लड़के वाले आप पर दबाव बना रहे हैं और उन मांगों को पूरा करने की धमकी दे रहे हैं तो यह बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं है। इसके साथ ही उनकी पढ़ाई के ऊपर खर्च करें, आर्थिक स्वतंत्रता की ओर लेकर जाएं तभी महिलाएं आजाद और स्वतंत्र होगी।

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