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Breaking Stereotype: इस समाज का केवल गोरेपन से प्यार कब छूटेगा?

आखिर यह स्टीरियोटाइप कब बंद होगा? हम एक ऐसी सेंचुरी में जी रहे हैं जहां हमें शायरी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है सारी डिग्रियां उपलब्ध है पर फिर भी यही स्टीरियोटाइप पर चला आ रहा है। आईए इस के बारे में कुछ चर्चा करते हैं।

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Anshika Pandey
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Breaking Stereotype

(Image Credit: Pinterest)

Why Fairness Is So Necessary: समाज में अक्सर देखा जाता है की गोरे लोगों को खूबसूरती का प्रतीक मानते हैं जबकि सांवले लोगों में कहीं ना कहीं कमियां निकाली जाती हैं। उन्हें खुद का ख्याल रखने के लिए कहा जाता है। सांवले लोगों को बोला जाता है कि धूप में मत जाओ, अपना ध्यान रखो ताकि उनका रंग गोरा हो जाए। आखिर यह स्टीरियोटाइप कब बंद होगा? हम एक ऐसी सेंचुरी में जी रहे हैं जहां हमें शायरी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है सारी डिग्रियां उपलब्ध है पर फिर भी यही स्टीरियोटाइप पर चला आ रहा है। आईए इस के बारे में कुछ चर्चा करते हैं।

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इस समाज का केवल गोरेपन से प्यार कब छूटेगा? 

अक्सर देखा जाता है कि किसी भी मौके पर जब समाज परिवार के लोग इकट्ठा होते हैं तो अक्सर किसी सांवली लड़की को घेर कर उसे क्रिटिसाइज करते हैं। वही गोरी स्किन वाले लोगों की तारीफ की जाती है। 

भेदभाव भी देखा जाता है

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समाज में अक्सर देखा जाता है कि डार्क स्किन वालों को बहुत सारे भेदभाव का सामना करना पड़ता है। क्या सिर्फ रंग से खूबसूरती आती है? 
यदि किसी लड़की की शादी होने वाली रहती है। तो लोगों से अपने रंग रूप को संवारने के लिए बोलता है। उबटन लगाओ, अपना ध्यान रखो, धूप में मत जाना, ऐसी बातें कहते हैं जिससे किसी व्यक्ति का कॉन्फिडेंस गिरने लग जाता है।

हर रंग अपने में खूबसूरत होता है चाहे वह गोरा हो या सांवला। हर कोई अपने में खूबसूरत है और हर कोई अपने में ही यूनिक है। खूबसूरती को रंग से तोड़ना बिल्कुल गलत होता है समाज को लोगों की प्रतिभा, बर्ताव और आंतरिक खूबसूरती पर भी ध्यान देना चाहिए। बाहरी खूबसूरती से कोई भी कुछ समय के लिए आकर्षक लग सकता है पर लंबे समय में केवल आंतरिक खूबसूरती हुई काम आती है।

समाज में खासकर लड़कियों पर इस रंग का काफी ज्यादा प्रभाव डाला जाता है। बचपन से ही इस प्रकार की बातें होती है कि किसी भी लड़की को यह लगने लगता है कि उसे खूबसूरत होना होगा और खूबसूरत होने का अर्थ है गोरा होना। कई बार यह ऑब्सेशन इतना अधिक बढ़ जाता है कि लोग खुद को एक्सेप्ट भी नहीं करपाते। 

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रंगभेद करना बिल्कुल गलत होता है यह इंसान के ऊपर मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से प्रभाव डालता है। लोगों को कई बार इन सारे डिस्क्रिमिनेशन से कॉन्फिडेंस में कमी देखने को मिलती है। जिससे कि समाज से जुड़ाव धीरे-धीरे कम हो जाता है।

Breaking Stereotypes Fairness Obsession
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