Advertisment

Double Standards: लड़का साँवले रंग का हो सकता है लेकिन लड़की गोरी ही चाहिए, क्यों?

डबल स्टैंडर्ड की हमारे समाज में कोई कमी नहीं है। समाज का नजरिया एक महिला और पुरुष के लिए अलग है। जिस बात की महिलाओं को मनाई होती है वही बात पुरुष आराम से कर सकते हैं-

author-image
Rajveer Kaur
New Update
bride

(Image Credit: Pinterest)

Why Is Fair Complexion of Women Such A Big Deal In Our Society? डबल स्टैंडर्ड की हमारे समाज में कोई कमी नहीं है। समाज का नजरिया एक महिला और पुरुष के लिए अलग है। जिस बात की महिलाओं को मनाई होती है वही बात पुरुष आराम से कर सकते हैं और उन्हें कोई सवाल भी नहीं पूछता है। जैसे एक लड़की के मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर नहीं हो सकते लेकिन अगर एक पुरुष के हैं तो उसे शान समझा जाता है। ऐसे डबल स्टैंडर्ड अगर आप ढूंढने निकलेंगे तो आपको बहुत सारे मिल जाएंगे। इन्हें बहुत ही नॉर्मलाइज किया गया है। हमें लगता है कि ऐसे ही होता है कि पुरुष तो कुछ भी कर सकते हैं। एक बात जो शादी के समय अक्सर देखने को मिलती है की लड़की का रंग साफ और गोरा होना। चाहिए वही लड़का चाहे सांवला ही हो तब भी चलेगा यह कितना जायज है? चलिए आज इसके ऊपर बात करते हैं-

Advertisment

लड़का साँवले रंग का हो सकता है लेकिन लड़की गोरी ही चाहिए, क्यों?

हमारे समाज में रंग के आधार पर भेदभाव बहुत आम है ज्यादातर ऐसा भेदभाव महिलाओं के साथ होता है।  बचपन से ही महिलाओं की रंग के नाम पर प्रताड़ना शुरू हो जाती है। इसीलिए उनके दिमाग पर इतना प्रेशर बनाया जाता है या फिर इतना ताने मिलते हैं कि कई बार लड़कियां स्ट्रेस या डिप्रेशन में भी चली जाती हैं। उनकी पढ़ाई या फिर टैलेंट को रंग के पीछे छुपा दिया जाता है। उन्हें ऐसा महसूस करवाया जाता है कि अगर तुम्हारा रंग गोरा नहीं है तो तुम जिंदगी में आगे कुछ नहीं कर सकती या यह तुम्हारे लिए सबसे जरूरी चीज है जिसके कारण  मन में सेल्फ डाउट आने लग जाता है कि मेरी काबिलियत सिर्फ इस रंग से ही डिफाइन होती है।

वही जब शादी की बात आती है तो लड़की के लिए जो रिश्ता आता है तो सबसे पहले पूछा जाता है कि आपकी बेटी का रंग क्या है? अगर लड़के वालों को यह पता चल जाए की लड़की का रंग सांवला है तो बहुत बार सिर्फ इसी वजह से रिश्ते को के लिए मना कर दिया जाता है बजाएं यह जाने की लड़की ने पढ़ाई क्या की है या फिर उसकी पहचान क्या है। ऐसे में बहुत सारी लड़कियों को लगता है कि वह सुंदर नहीं है। लेकिन सुंदरता किसी भी रंग से डिफाइन नहीं होती है और ना ही इसकी कोई स्पेसिफिक डेफिनेशन है। हर किसी के लिए सुंदरता के मायने अलग हो सकते हैं।

Advertisment

ऐसे में आप यह नहीं बता सकते कि आपकी लड़की सिर्फ इस वजह से सुंदर नहीं है क्योंकि उसका रंग सांवला है। यहां पर महिलाओं को इस चीज के लिए ज्यादा टारगेट किया जाता है। हमारे समाज में ब्यूटी स्टैंडर्ड खासतौर पर महिलाओं के लिए हैं। यह इस तरह की सोच किसी के लिए भी नहीं होनी चाहिए चाहे वह पुरुष है या महिला। आप किसी को एक रंग से डिफाइन नहीं कर सकते हैं और ना ही आपको यह हक है कि आप उनका रंग की वजह से मजाक बनाएं। इससे यह समझ आता है कि आपके पास बेसिक एजुकेशन ही नहीं है क्योंकि आप अभी भी रंग में ही फंसे हुए हैं।

double standards for women Unrealistic Beauty Standards Beauty Standards double Standards double standards in society
Advertisment