Why is women's cricket not celebrated so much?: क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे पूरे भारत में पसंद किया जाता है। ऐसे बहुत कम लोग होंगे जो इस खेल को पसंद नहीं करते होंगे। इस खेल के लोगों के साथ इमोशंस जुड़े हुए हैं। यह मैच महिला और पुरुष दोनों की तरफ से खेला जाता हैं। लेकिन आज भी सिर्फ पुरुष क्रिकेट को ज्यादा महत्व दिया जाता है। हमारे समाज में ट्रेडिशनल सोच मौजूद है जिसके हिसाब से क्रिकेट सिर्फ मर्दो का खेल हैं। हमारे देश में लड़कियों को स्पोर्ट्स में जाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इस मेल डोमिनेंट खेल क्रिकेट में आज जो औरतें अपना लोहा मनवा रही हैं उनकी मेहनत और जज्बे को सलाम हैं।
क्यों महिला क्रिकेट को इतना सेलिब्रटे नहीं किया जाता है?
नहीं मिलती सपोर्ट
5 जनवरी, 2024 में क्रिकेट का T20 वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया के साथ मुंबई में खेला जाएगा। महिला क्रिकेट की तरफ से पुरष क्रिकेट टीम की तरह ही मेहनत की जाती है लेकिन पुरष क्रिकेट टीम के मैच दर्शकों की तरफ से ज्यादा पसंद किए जाते हैं। हाल ही में पुरष क्रिकेट टीमों का वर्ल्ड कप हुआ। सभी लोगों ने बहुत एन्जॉय किया। इंडियन क्रिकेट टीम को बहुत सपोर्ट मिला। सभी ने सोशल मीडिया पर भर-भर के उनका सपोर्ट किया। कुछ दिन पहले पुरष और महिला एशिया कप हुआ था। महिला क्रिकेट टीम हरमनप्रीत की कप्तानी में उस कप को जीता लेकिन बहुत कम ऐसे लोग थे जिन्होंने इस मैच की तस्वीरें अपने व्हाट्सप्प या इंस्टाग्राम पर शेयर की।
सेक्सिस्म का बनती है हिस्सा
क्रिकेट या कोई और भी स्पोर्ट्स हो औरतें सेक्सिस्म का शिकार होती हैं। उन्हें कदम-कदम पर कभी मीडिया कि तरफ से तो कभी दर्शकों द्वारा इसका समाना करना पड़ता है। इन चीज़ो को सहज भी माना जाता हैं। क्रिकेटर मिताली राज भारत कि पूर्व कप्तान हैं उनसे एक पत्रकार ने पूछा कि उनका पसंदीदा पुरुष क्रिकेट स्टार कौन हैं? मिताली ने इसका उत्तर देने में देर नहीं लगाई। जवाब में उन्होंने कहा, "इससे पहले किसी पुरुष क्रिकेटर से यह सवाल कभी नहीं पूछा गया। मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि आपका पसंदीदा क्रिकेटर कौन है लेकिन आपको उनसे पूछना चाहिए कि उनकी पसंदीदा महिला क्रिकेटर कौन है?"
यहां पर एक घटना का उल्लेख किया है लेकिन ऐसी बहुत सारी हैं। हमें बस उन्हें हाईलाइट करने की जरुरत है। समस्या तब पैदा होती है जब हम ऐसी घटनाओं को नार्मल मानते हैं। महिलाओं को हमेशा अपनी काबिलयत का सबूत देना पड़ता है जिसकी जरुरत बनती नहीं है। आशा है, आने वाले समय चीजें बेहतर होंगी।