Why Marriage and Motherhood are Pressured on Women: एक औरत के लिए माँ बनना या फिर शादी करना एक चॉइस नहीं होती। यह उनके लिए 'डिफॉल्ट सेटिंग' है जिसे बदला नहीं जा सकता है। समाज में जिन महिलाओं ने इन अपेक्षाओं पर खरा ना उतरने की गुस्ताखी की है तो उन्हें स्वीकार नहीं किया गया। यह एक सोचने वाली बात है कि एक पुरुष के लिए पिता बनना या फिर शादी करना कंपलसरी नहीं होता है लेकिन जब बात औरत की आती है तो इस बात को बहुत मुद्दा बनाया जाता है। चलिए जानते हैं कि क्यों आज भी समाज में ऐसे डबल स्टैंडर्ड मौजूद हैं जो महिलाओं के ऊपर शादी और बच्चे का दबाव बनाते हैं लेकिन पुरुषों के लिए अलग स्टैंडर्ड रखते हैं?
महिला के लिए शादी और बच्चे जरूरी लेकिन पुरुषों पर कोई दबाव नहीं, ऐसा क्यों?
ट्रेडिशनल जेंडर रोल्स आज भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। इसके कारण भी महिलाओं से यह अपेक्षा होती है कि वे परिवार का ध्यान रखें और बच्चे पैदा करें क्योंकि यह उनकी जिम्मेदारी है। इसके साथ ही महिलाओं को इस बात के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है कि वे फैमिली को जोड़कर रखें। उनके ऊपर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। ऐसी मानसिकता के कारण महिलाओं को शादी और बच्चे पैदा करने ही पड़ते हैं। कभी भी किसी महिला से यह नहीं पूछा जाता है कि आप शादी करना चाहती है या नहीं। एक उम्र के बाद महिलाओं को शादी के लिए प्रेशर किया जाता है।
महिलाओं को शादी के स्टेटस से भी जज किया जाता है। अगर किसी महिला की समाज के द्वारा निर्धारित उम्र में शादी नहीं होती है तो समझा जाता है कि इस लड़की में जरूर कोई समस्या है या फिर इसका चरित्र खराब है क्योंकि अच्छी लड़कियों की शादी तो तय उम्र में हो ही जाती है। इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी राय रखने का अधिकार नहीं है। हमेशा से पावर पुरुषों के हाथों में रही है जिसके कारण महिलाओं को यह फैसला लेने का अधिकार नहीं है कि वे मां बनना या फिर शादी करना चाहती है या नहीं।
इसके साथ ही ऐसा भी सोचा जाता है कि एक महिला अकेले अपना जीवन नहीं गुजार सकती है। उसे अपनी जिंदगी में एक पुरुष की जरूरत होती है जो उसे 'पूरा' बनता है। एक महिला पुरुष के बिना अधूरी होती है। इसलिए भी बहुत सारे लोग महिलाओं के ऊपर शादी का प्रेशर डालते हैं।
ऐसे में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा एजुकेटेड करने की जरूरत है और उन्हें फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनाने की जरूरत है ताकि उन्हें किसी भी तरह के प्रेशर में आकर शादी का फैसला ना लेना पड़े और अपना ओपिनियन खुलकर रख सकें। महिलाओं के रिप्रोडक्टिव फैसलों में हमें उनकी सपोर्ट करनी चाहिए। उनके हर फैसले की हमें इज्जत करनी चाहिए। शादी कभी भी किसी के ऊपर बोझ नहीं होनी चाहिए। यह एक चॉइस होनी चाहिए ताकि किसी भी व्यक्ति को शादी का फैसला समाज के दबाव में ना लेना पड़े।