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रिलेशनशिप में हमेशा महिला ही क्यों कोम्प्रोमाईज़ करे?

ओपिनियन: शादी के बाद रिलेशनशिप को बचाने का कॉम्प्रोमाइज, बच्चों के लिए कोम्प्रोमाईज़, अपने सपनों को त्याग कर दूसरों के सपनों को साकार करने में जुट जाती है। महिला ही क्यों? जानें अधिक इस ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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Women

Why should a woman always compromise in a relationship

हमारे समाज में शुरू से ही महिलाओं को कॉम्प्रोमाइज करना सिखाया जाता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक एक औरत को कई सारी चीजों का कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ता है बचपन में छोटे भाई के लिए कोम्प्रोमाईज़, कोई खिलौना यदि हमें चाहिए तो घरवाले कहते हैं बेटा छोटा भाई है उसे दे दो। बड़ी होकर शादी के लिए कोम्प्रोमाईज़। शादी के बाद रिलेशनशिप को बचाने का कॉम्प्रोमाइज, बच्चों के लिए कोम्प्रोमाईज़, अपने सपनों को त्याग कर दूसरों के सपनों को साकार करने में जुट जाती है। महिला ही क्यों?

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हर जगह महिला ही कोम्प्रोमाईज़ क्यों करें?

समानता का हक तो महिला और पुरुष दोनों का होता है। दोनों को समाज में बराबरी का हक़ हैं दोनों को एक दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए। यह अपेक्षा केवल महिलाओं से ही क्यों की जाती है? उनको भी आगे बढ़ने का अधिकार है उनको भी अपने सपने पूरे करने का हक है। शादी के बाद रिलेशनशिप को बचाने के लिए हमेशा एक औरत से ही बोला जाता है की बेटा थोड़ा सहन कर लो? इसलिए आपने यदि आज कदम ना उठाया तो आप कभी नहीं उठा पाएंगे। कभी-कभी छोटी-छोटी चीजों में कभी कभी कॉम्प्रोमाइज करना सामान्य बात है लेकिन हर बार आपको ही कोम्प्रोमाईज़ करना है तो रुक जाइए।

एक रिश्ते को बचाना क्या केवल एक महिला की ही जिम्मेदारी है?

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अक्सर मां बाप अपने बेटी को कहते हैं बेटा ससुराल जाकर नाम रोशन करना। ससुराल कोई स्कूल या कॉलेज नहीं है जहां पर नाम रोशन किया जाए। पति आपसे कुछ गलत बोल दे या ससुराल वाले आपसे कुछ गलत बोलदें ऐसे में आप नाराज हो जाती है लेकिन उस समय हर व्यक्ति कहता है की बेटा थोड़ा सा झुक जाओ। तुम्हें थोड़ा सा कंप्रोमाइज करना चाहिए।

शादी दो लोगो से चलती है इसलिए उन्हें कोम्प्रोमाईज़ करना चाहिए जिनकी गलती है यह आपकी चॉइस है की आप अपने रिश्ते में रहना चाहती हैं या फिर नहीं। ऐसे में रिश्ता बचाने का काम आपका नहीं है उनका है जिन्होंने आपके साथ गलत किया है। जिनकी वजह से यह रिश्ता ख़राब होने की नीव पर पंहुचा है

क्या बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ एक मां की होती है?

बच्चो को पैंपर करने की ज़िम्मेदारी दोनों माता पिता की होती है ऐसे में फैमिली मैम्बर्स आपसे एक्सपेक्ट करते है की आप उनकी केयर करें और आपका पति जॉब करेगा लेकिन एक बच्चे होने का अर्थ ये तो नहीं की आप अपने ड्रीम्स, जॉब्स आदि चीज़ो का कोम्प्रोमाईज़ कर दें और  एक महिला से एक्सपेक्ट किया जाता है की वह घर का सारा काम करे और फिर जॉब पर जा सकती है।

आपकी इंडिपेंडेन्सी के लिए आपको परमिशन की जरूरत नहीं है। बच्चा दोनों का है तो सॉल्यूशन भी दोनों लोगों को साथ निकालना होगा। इसके लिए केवल आपको कोम्प्रोमाईज़ करने की जरूरत नहीं है। 

रिलेशनशिप ससुराल
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