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Kab Sudhrega Samaaj? बेटी के जन्म पर मायूसी कब तक?

जानिए क्यों समाज में बेटी के जन्म पर मायूसी का माहौल है। बेटियों को बोझ मानने की सोच और इसे बदलने की आवश्यकता पर चर्चा। बेटी के जन्म को आशीर्वाद मानने की दिशा में समाज को कैसे आगे बढ़ाना है?

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Vaishali Garg
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Why the Sadness at the Birth of a Daughter?

हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं जहाँ बेटी के जन्म पर कई परिवारों में मायूसी का माहौल होता है। यह सोच न केवल दुःखद है, बल्कि यह हमारे विकास को भी रोकती है। क्या यह सही है कि एक नई जीवन का स्वागत न कर पाने की भावना को हम बेटी के जन्म से जोड़ दें? आखिर क्यों कुछ लोग बेटी के जन्म को बोझ समझते हैं, जबकि यह एक खुशियों का अवसर होना चाहिए?

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कब सुधरेगा समाज? बेटी के जन्म पर मायूसी कब तक?

बेटी का जन्म: बोझ या आशीर्वाद?

अधिकांश भारतीय परिवारों में, खासकर गांवों और छोटे शहरों में, बेटियों के जन्म पर खुशी की बजाय मायूसी होती है। क्या यह सही है कि हम एक नवजात को इस सोच के आधार पर आंकते हैं? बेटियाँ किसी परिवार का गौरव होती हैं, और उन्हें प्यार, स्नेह, और देखभाल की आवश्यकता होती है। फिर भी, समाज में कुछ धारणाएँ इतनी गहरी हैं कि लोग इसे बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।

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बेटियों को 'बोझ' क्यों माना जाता है?

बहुत से लोग यह मानते हैं कि बेटियों का पालन-पोषण करना आर्थिक रूप से कठिन है। उन्हें शादी के समय दहेज देना होता है, और इस वजह से बेटियों को अक्सर बोझ समझा जाता है। क्या एक बेटी का मूल्य केवल उसके दहेज के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए? यह सोच समाज की प्रगति में एक बड़ी बाधा है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि बेटियाँ किसी बोझ से कम नहीं होतीं; वे परिवार और समाज के लिए एक अनमोल संपत्ति होती हैं।

मायूसी का यह सिलसिला कब खत्म होगा?

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समाज में यह मान्यता क्यों है कि बेटियों के जन्म पर मायूसी होना चाहिए? क्या यह एक पुरानी सोच का परिणाम है, या फिर यह हमारे मूल्य प्रणाली में गहराई से जुड़ी हुई है? जब तक हम इस सोच को चुनौती नहीं देंगे, तब तक बेटियों के जन्म पर मायूसी का यह सिलसिला जारी रहेगा।

बदलते समाज की दिशा

आज के युवा पीढ़ी में बदलाव की आवश्यकता है। हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है और बेटियों को समान अधिकार देने का समय आ गया है। क्या हम एक ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं जहाँ बेटी का जन्म एक खुशियों का अवसर हो? जब हम बेटियों को समान दर्जा देंगे, तब ही हम उन्हें सही मायने में उनके अधिकार और सम्मान दिला पाएंगे।

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बेटियों का जन्म हमारे समाज के लिए एक आशीर्वाद होना चाहिए, न कि एक बोझ। क्या हम इस सोच को बदलने के लिए तैयार हैं? जब तक हम यह नहीं करेंगे, तब तक समाज में सुधार की कोई संभावना नहीं है। हमें एक सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी, जहाँ बेटी का जन्म खुशी का अवसर माना जाए, और उसे वह सम्मान और अधिकार मिले, जिसके वह हकदार हैं। बेटियों को हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाना चाहिए, और हमें उनके जन्म का स्वागत खुशी से करना चाहिए।

Kab Sudhrega Samaaj? Girl Child Society
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