Why Women Are Forced To Live In Toxic Relationship For Kids? जब एक महिला के बच्चे हो जाते हैं तो उसके लिए टॉक्सिक रिलेशनशिप को छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। उसे हमेशा ही अपने बच्चों के लिए टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने को कहा जाता है। ऐसा समझा जाता है कि एक पिता के बिना बच्चों की जिंदगी कुछ भी नहीं है। इसलिए महिला को अपने बच्चों के लिए इस रिश्ते में रहना चाहिए लेकिन क्या ऐसे सब ठीक हो जाएगा? क्या उस पुरुष को यह महसूस होगा कि वह गलत है? क्या वह बदल जाएगा या फिर सिर्फ महिला ही सहन करती रहेगी? ये कुछ बड़े सवाल हैं लेकिन इनके ऊपर कोई बात नहीं करना चाहता है। हर बार महिला को कंप्रोमाइज करने के लिए कहा जाता है। अगर कोई महिला समाज के बंधनों को तोड़कर टॉक्सिक रिलेशनशिप छोड़ भी देती है तो गलत उसे ही कहा जाएगा।
क्यों महिला को बच्चों की खातिर Toxic Relationship में रुकने का सुझाव दिया जाता है?
हमारे समाज में महिलाओं के लिए शादी जैसे रिश्ते को छोड़ना आसान नहीं है। ऐसा समझा जाता है कि औरत का फर्ज होता है कि वह रिश्ता जोड़कर रखें। ऐसी कितनी ही महिलाएं हैं जो रिश्ते में घुट-घुट कर जी रही हैं। उन्हें समझाया जाता है कि बच्चों के लिए रिश्ते में रहना जरूरी है। बच्चे को माता और पिता दोनों का प्यार मिलना चाहिए लेकिन उस औरत के बारे में कोई नहीं सोचता है जो हर दिन अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को दांव पर लगाकर उस रिश्ते में रह रही है। उन्हें यह तक भी सुनने को मिलता है कि तुम बच्चों की माँ नहीं होती तो तुम्हें छोड़ दिया जाता।
ऐसी बहुत सारी बातें होती है जो महिलाएं खुलकर बताती नहीं लेकिन उनके साथ रोजमर्रा की जिंदगी में होती हैं। वहीं पर पुरुष यह कभी नहीं सोचता है कि उसे एक बच्चे के लिए रिश्ते को कंप्रोमाइज कर देना चाहिए। वह हमेशा ही अपने दिल की सुनता है। अगर उसे लगता है कि यह रिश्ता सही है नहीं है तो उस किसी की वैलिडेशन की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि वह तुरंत उस रिश्ते को छोड़ देता है और समाज भी उसे स्वीकार ठहराता है। यही समाज का दोगलापन है जिसके कारण समाज में भेदभाव पैदा होता है।
महिलाओं को समझने की जरूरत है कि रिश्ते में बच्चों के लिए रहना जरूरी नहीं है। कई बार बच्चों के लिए रिश्ते को छोड़ना भी पड़ता है। अगर आपके घर में ऐसा माहौल ही नहीं होगा जहां पर बच्चा सुरक्षित महसूस कर सके या फिर उसे अपनापन न मिले तो आपको ऐसे रिश्ते में रहने की कोई जरूरत नहीं है। समाज की मत सुनें। आप अपनी और अपने बच्चे की भलाई के बारे में सोचे। आप बच्चे को ऐसा माहौल दे जहां पर उसकी मेंटल और फिजिकल वेल्बीइंग अच्छी रहे। यह मुश्किल लेकिन जरूरी कदम है।