किसी भी रिलेशनशिप में अपने पार्टनर को धोखा देना; उसे चीट करना बिलकुल गलत है। पुरुष हो या महिला, कोई भी अपने पार्टनर को धोखा देने पर सही नहीं होता। यह न केवल एक रिश्ते में विश्वास और समझ को मिटा देता है बल्कि यह प्यार की गर्माहट के जगह गलफहमी बनने लगती है। हालाँकि, हमारे समाज में, किसी रिश्ते में 'बेवफाई' के लिए हमेशा महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।
Women In Society: बेवफाई के लिए महिलाएं ही क्यों जिम्मेदार?
अगर कोई आदमी धोखा देता है, तो उसे माफ कर दिया जाता है और आगे बढ़ने के लिए कहा जाता है। लेकिन अगर कोई महिला अपने साथी को धोखा देती है तो उसे कैरेक्टर-लेस , फूहड़ कहा जाता है। और उसे छोड़ने के लिए बोलै जाता है। समाज का मानना है कि जो महिलाएं अपने पार्टनर को धोखा देती हैं उनको रिश्ते में नहीं रखा जाना चाहिए। आखिर यही बात पुरुषों के मामले में क्यों नहीं होती? क्या यह संभव है कि समाज धोखाधड़ी को नैतिक मुद्दा तभी समझे जब वह महिलाओं द्वारा किया गया हो?
हमेशा महिलाएं ही क्यों है जवाबदेह
जब महिलाओं के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते हैं, तो यह उनके चरित्र और उनके परिवार की इज्जत का मामला बन जाता है। अगर किसी महिला का अफेयर हो तो यह उसके रिश्ते पर सवाल उठाने जैसा होता है, उसकी वफादारी पर सदेह किया जाता है। किसी भी रिश्ते में आखिर किस हद तक महिलाओं कि ही भागीदारी समझी जनि चाहिए? क्या पुरुष और महिला किसी रिश्ते में बराबर नहीं है? तो आखिर अफेयर के लिए महिलाओं कि जवाबदेही ही जरुरी क्यों है?
दूसरी ओर, जब पुरुष अपने साथी को धोखा देते हैं, तो उन्हें इस धारणा के आधार पर मुक्त चलने की अनुमति दी जाती है कि पुरुष पुरुष होते हैं। पुरुषों के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और अपने साथी से अलग सेक्सुअल रिलेशन स्थापित करने को उनकी जरुरत का नाम दिया जाता है।
धोखा और बेवफाई दोनों की है जिम्मेदारी
अगर धोखा देना बुरा है तो यह स्त्री और पुरुष दोनों के लिए है। अगर हमें 'बेवफाई' की माफ़ी चाहिए तो वह पुरुष और महिला दोनों की ही जिम्मेदारी बनती है। कैरेक्टर-लेस होना या बेवफा होना कोई महिलाओं से जुड़े शब्दावली नहीं है, बल्कि पुरुषों के लिए भी इन शब्दों के वही मायने हैं।