Why Women Should Stop Explaining Their Dreams? महिलाओं के सपनों की कोई इतनी वैल्यू नहीं करता है। उनके सपनों को इतना जरूरी नहीं समझा जाता है। उन्हें हमेशा ही अपने सपनों की कुर्बानी देने को कहा जाता है। यह कुर्बानी कभी शादी के नाम पर होती है या फिर बच्चों के भविष्य के लिए लेकिन पुरुषों से कोई ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती है। उन्हें बचपन से ही सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित कहा जाता है। महिलाओं को ऐसा बोला जाता है कि तुम अपने सपने पूरे करके क्या करोगी, आखिर में तो तुम्हारी शादी ही होगी, तुम्हें बच्चे ही संभालने हैं। आज हम इस विषय पर बात करेंगे कि क्यों महिलाओं को अपने सपनों की सफ़ाई देने की जरूरत नहीं है?
क्यों अपने सपनों के लिए महिलाएं खुद को साबित मत करें
महिलाओं के पास खुद के फैसले लेने की आजादी
महिलाओं को एक बात समझनी चाहिए कि उनके पास फैसले लेने की आजादी है। आपको अपनी चॉइस के लिए किसी को सफाई देने की आवश्यकता नहीं है। इस बात से किसी का कोई लेना-देना नहीं है कि आप कोई चीज क्यों कर रहे हैं या किसका साथ दे रहे हैं। इसके साथ ही महिलाओं को किसी की वैलिडेशन की जरूरत नहीं है। उन्हें खुद के फैसलों के उपर विश्वास करना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं के पास यह भी आजादी है कि वह किसी व्याख्या के बिना अपनी लाइफ को जी सकती हैं।
जजमेंट की परवाह मत करें
महिलाओं की अपने हर एक्शन के लिए बहुत ज्यादा जजमेंट का सामना करना पड़ता है जिस कारण बहुत सारी महिलाएं अपने फैसले लेने से डरती हैं। इसके साथ ही उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी भी हो जाती है कि उन्होंने जो अपने लिए सोचा है वो सही है या नहीं। वहीं पर पुरुष बिना किसी दबाव के फैसला लेते हैं। वह स्थिति के अनुसार अपने फैसलों को लेते हैं। महिलाओं को अपने सपनों या फैसलों को लेकर किसी को जस्टिफिकेशन देने की जरूरत है। यह आपके उपर निर्भर करता है कि आप किसके साथ अपनी चीजों को शेयर करना चाहते हैं। आप दूसरे लोगों के साथ बाउंड्रीज मेंटेन कर सकते हैं।
इसके साथ ही महिलाओं की सेल्फ-रिसपेक्ट बहुत मायने रखती है। अगर महिलाएं अपने फैसले खुद लेना शुरू करती हैं, इससे उनका सशक्तिकरण होता है। इसके साथ ही पर्सनल ग्रोथ में बढ़ोतरी होती है। उनके अंदर किसी तरीके का कोई डर नहीं होता। वे समाज के हिसाब से खुद को एडजस्ट करने की कोशिश नहीं करती बल्कि खुद के हिसाब से खुद को दूसरों के सामने पेश करती हैं। ऐसे में वे खुद के करीब आना शुरू हो जाती है। उन्हें अपने बारे में पता चलता है कि वह क्या हैं। वह अपने आप को दूसरों की तरह नहीं ढालती। इसलिए महिलाओं को कभी भी अपने सपनों के लिए दूसरों को सफाई देने की जरूरत नहीं है।