Women Reservation Bill Creates Opportunities for Women in Politics: महिला आरक्षण बिल को 19 सितम्बर को गणेश चतुर्थी के पर्व पर लोक सभा में पेश कर दिया गया था। इस बिल ने सदियों से महिलाएं के लिए जो रास्ते अटके हुए थे उन्हें खोलने का काम शुरू कर दिया हालाँकि इस बिल को पास होने के बाद लागू होने में समय लग सकता है। यह बिल महिलाओं के लिए 1/3 सीटें आरक्षित करता है। इस बिल को 128वां संशोधन बिल या नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम दिया गया है। इस बिल पर आज यानी 20 सितम्बर को बहस हो रही है।
आज बिल के बारे में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष- ''यह मेरे जीवन का एक भावनात्मक क्षण है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए संवैधानिक संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी द्वारा लाया गया था। वह राज्यसभा में 7 वोटों से हार गए थे। बाद में, पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने इसे राज्यसभा में पारित कर दिया। परिणामस्वरूप, हमारे पास स्थानीय निकायों के माध्यम से देश भर में 15 लाख निर्वाचित महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना केवल आंशिक रूप से पूरा हुआ है। यह इस विधेयक के पारित होने के साथ पूरा हो जाएगा।"
#WATCH | Women's Reservation Bill | Congress Parliamentary Party Chairperson Sonia Gandhi says, "This is an emotional moment of my own life as well. For the first time, Constitutional amendment to decide women's representation in local body election was brought by my life partner… pic.twitter.com/stm2Sggnor
— ANI (@ANI) September 20, 2023
क्या महिला आरक्षण बिल से महिलाओं के राजनीति में रास्ते खुलेंगे?
महिला प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ेगी
इस बिल के आने से राजनीती में महिला प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ सकती है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लोकसभा में 128वें संवैधानिक संशोधन विधेयक को पेश किया था। अगर यह बिल कानून पास होता है तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों में महिलाओं को 33% कोटा की गारंटी मिलेगा। महिलाएं राजनीती में सशक्त होंगी और बढ़-चढ़कर इन कार्यों में रूचि मिलेगी।
इससे महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सकता है क्योंकि जब औरतें नेता बनेगी तब वे महिलाओं की समस्यायों को ज्यादा समझ पाएंगी उन्हें पता लगेगा कहा पर कितना काम मिलेगा जिससे उनके हालातों में सुधार आएगा और कानून बनाने में भी भागीदारी बढ़ सकती है। महिला आरक्षण विधेयक का लोकसभा की कुल सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षण अनिवार्य करके इस ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करेगा।
मेल डोमिनेन्स कम हो सकते हैं
जैसे हम सब जानते हैं आज आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में राजनीती में महिलाओं की भूमिका बहुत कम है। आज भी औरतें मेल डोमिनेन्स का सामना कर रही हैं अगर उन्हें 33% आरक्षण मिल जाएगा तब यह मर्द प्रधानता कम हो सकती है। औरतो को लीड करने के मौके अधिक मिल सकते हैं लेकिन ऐसा न हो कि महिलाओं की सीट हो, चुनाव भी जीती हो, लेकिन सब कुछ उनके पति के साथ में हो इससे बात फिर वहीं आ जाएंगी। इसलिए सरकार पहले समानता लेकर आए।
महिला आरक्षण विधेयक का उद्देश्य लोकसभा की कुल सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित करना अनिवार्य करके इस ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करना है।
क्या 2024 तक लागू हो पाएगा?
महिला आरक्षण बिल लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए सीटों के लिए परिसीमन यानि डीलिमिटेशन आयोजित होने के बाद ही लागू होगा। परिसीमन की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सुनिश्चित नवीनतम जनगणना आंकड़ों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया जाए। 2024 से पहले इस प्रक्रिया का होना संभव इसलिए यह बिल 2024 तक लागू न हो पाए।
कितने समय तक रहेगा?
यह बिल इस बात पर ज़ोर देता है कि ये प्रावधान संविधान (128वें) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने के पंद्रह वर्षों तक यह बिल प्रभावी होगा।