Women Should Create Their Own Reality: जन्म से ही महिलाओं को कभी अपनी सच्चाई लिखने का मौका ही नहीं मिलता है। उनकी जिंदगी का कंट्रोल कभी माता-पिता, भाई, पति या फिर ससुराल के हाथ में होता है। सब उसे बताते हैं कि उसे अपनी जिंदगी में क्या करना चाहिए। सामाजिक अपेक्षाएं महिलाओं से ज्यादा होती हैं। उन्हें बताया जाता है कि उन्हें क्या पहनना है, किस करियर में जाना है और कैसे लोगों से मिलना है। उन्हें इजाजत दी जाती है। उनकी अपनी कोई जिंदगी नहीं होती है लेकिन फिर भी हम बड़े खुशी से इस बात को बोलते हैं कि आज की महिला आजाद है। चलिए जानते हैं कि महिलाओं को खुद की सच्चाई लिखने की जरूरत क्यों है?
अपनी सच्चाई खुद लिखकर महिलाएं अपनी ताकत खोजें
महिलाओं को अपनी जिंदगी का कंट्रोल अपने हाथ में लेना है। उन्हें क्या पहनना है, क्या खाना है, बॉडी शेप, साइज, कपड़ों की चॉइस, फ्रेंड्स सब समाज के हिसाब से होने चाहिए। हम लड़कों से कभी अपेक्षा नहीं करते हैं कि वह हमारे हिसाब से अपनी जिंदगी को व्यतीत करें लेकिन एक लड़की से हमेशा यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से जिएं। इसके कारण बहुत सारी महिलाएं यह भूल गई हैं कि उन्हें क्या पसंद है। अगर आप अपने घर में भी इस बात का निरिक्षण करेंगे तो रसोई में खाना पुरुषों की पसंद का ही ज्यादा बनता है। ज्यादातर महिलाओं को यही कहते आपने सुना होगा कि हमारे पति को या पिता को यह सब्जी पसंद नहीं है इसलिए हम यह बनाते नहीं है। हालांकि वह सब्जी उन्हें खुद पसंद हो सकती है लेकिन फिर भी वह उसे बनाती नहीं है।
इसकी एक उदाहरण यह भी है कि अगर एक महिला को वेस्टर्न कपड़े पहनना पसंद है तो कोई उनसे पूछता है कि आप वेस्टर्न कपड़े क्यों नहीं पहने तो उनका जवाब होता है कि इन्हें (पति को) अच्छे नहीं लगते हैं। क्या यह सब कुछ जायज है? समाज के अनुसार, एक महिला को इतने कंप्रोमाइज करने पड़ते है। एक पति का कहना मानना ही पत्नी का सबसे बड़ा धर्म होता है लेकिन अगर वही पत्नी अपने पति से कह दे कि आप इस तरह के कपड़े ना पहने, मुझे यह अच्छे नहीं लगते हैं तो बहुत कम ऐसे पति होंगे जो उनकी बात मानेंगे।
यह बातें देखने को छोटी लग सकती हैं लेकिन इनका समाज के ऊपर प्रभाव बहुत बड़ा है। इसके कारण महिलाएं खुलकर जी नहीं पाती हैं। पुरुषों को महिला का अपने से ज्यादा कमाना या फिर सक्सेसफुल होना भी अच्छा नहीं लगता है। उनके अंदर एक इनसिक्योरिटी आ जाती है। समाज में ऐसे पुरुषों को नाकाम और अयोग्य माना जाता है। इसलिए आज महिलाओं को खुद की किस्मत लिखने की जरूरत है। इसके लिए उनका फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होना जरूरी है ताकि वह अपने फैसले खुद ले सकें। उन्हें किसी के ऊपर निर्भर ना होना पड़े। सबसे जरूरी बात कि आपकी जिंदगी का कंट्रोल किसी के हाथ में ना हो।