How to Identify Healthy and Positive Relationships During Adolescence? किशोरावस्था बहुत ही प्रभावशाली उम्र होती है। यह वह समय होता है जब बच्चे खुद को बड़े समझने लगते हैं। इस अवस्था को दबाव, तनाव और तूफान की अवस्था माना गया है। इस दौरान किशोरों में काफी बदलाव शारीरिक, मानसिक रुप से देखने को मिलते हैं। इस उम्र में ही वो सिखते हैं कि कैसे एक स्वस्थ और सुरक्षित रिश्ते बनाए जाते हैं, लेकिन अनुभव के कारण उन्हें उसके प्रभाव के प्रति लापरवाह रखती है। इस उम्र के ज्यादातर बच्चे माता-पिता से कट कर अपने बाहरी रिश्तों से उलझे रहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाना कोई असामान्य नहीं, लेकिन समझ की कमी के कारण वो अक्सर गलत रिश्ते में चले जाते हैं।
किशोरावस्था में कैसे पहचाने एक स्वस्थ और सुरक्षित रिश्ते को?
किशोरावस्था में प्यार होना स्वाभाविक है लेकिन यह जानना उतना ही आवश्यक है कि आपका रिश्ता प्यार से भरा है या सिर्फ आकर्षण मात्र से। यह जानने कि लिए सबसे पहले आप अपने रिश्ते को समझें और पहचाने कि यह सही है या गलत।
1. विश्वास और वफादारी
रिश्तों में विश्वास और एक दूसरे के प्रति वफादारी का होना भी उतना ही ज़रुरी है, जितना प्यार का होना। आप यह जानने की कोशिश करें कि आपका साथी अपने विचारों, भावनाओं को आपसे साझा करता है या नहीं लेकिन ध्यान रहें कि विश्वास और वफादारी एक तरफ से नहीं दोनों तरफ से होना चाहिए, तभी रिश्ते की गाड़ी आगे बढ़ सकती हैं।
2. सहज और सुरक्षित महसूस करना
रिश्तों में सहज होना, उसके अस्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है। स्वस्थ रिश्तों में पार्टनर आमतौर पर अपनी जीवन से जुड़े सारी बाते करते हैं, जो उन्हें अपने उस रिश्तों में सहज और सुरक्षित महसूस कराता है। इस दौरान चाहिए होता है कि कोई उन्हें माता-पिता की तरह ही उनकी हर बात को सुनें और समझने की कोशिश करें।
3. समानता का व्यवहार
जब आपका साथी आपके साथ उचित सम्मान के साथ व्यवहार करता हो, तब आप उस रिश्ते को आगे बढ़ाने की ओर बढ़ते हैं। ज्यादातर देखा गया है कि इस उम्र के प्यार की अवधि ज़्यादा दिन तक नहीं रहती, लेकिन अगर इस रिश्ते में प्यार के साथ सम्मान की भावना हो तो रिश्ते लंबे समय तक चलते हैं।
4. सहयोग दिखाना
किशोरावस्था में अक्सर रिश्तों में रिस्पेक्ट और सहयोग की कमी देखने को मिलती है, जिसके कारण रिश्ता टूटने लगता है। इस दौरान सच्चे साथी वहीं होते जो सपोर्टिव बनते हैं, क्योंकि जीवन के इस पड़ाव में उन्हें एक ऐसे साथी की ज़रुरत होती है जो उनकी हर भावनाओं को समझें और सहयोग करें।
5. वादा निभाना
इस उम्र के रिश्ते में वादे तो बहुत किए जाते लेकिन उन वादे को सही मायने पर निभा नहीं पाते, यही कारण है कि किशोरावस्था में शुरु हुई कई रिश्ते आगे बढ़ने के बजाय खत्म हो जाते। रिश्तों में रहते हुए देखना चाहिए कि आपका साथी आपसे किया हुआ वादा निभा पाता है