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Photograph: (freepik)
How Women Set Boundaries In Toxic Relationships: एक टॉक्सिक रिलेशनशिप किसी भी महिला के आत्म-सम्मान, मानसिक स्वास्थ्य और उनके भावनात्मक संतुलन को गहराई से प्रभावित कर सकती है। जब कोई रिश्ता आपको बार-बार तकलीफ दे, अपमानित करें या आप पर नियंत्रित करने लगे, तो वहां बाउंड्रीज़ यानी की उस रिश्ते में सीमाएं बनाना बहुत ज़रूरी हो जाता है। बाउंड्रीज़ बनाना सिर्फ दूसरों को रोकने का ज़रिया नहीं, बल्कि यह खुद को सुरक्षित रखने और सम्मान देने का तरीका होता हैं। आइए जानते हैं कि महिलाएं कैसे एक टॉक्सिक रिलेशनशिप में अपनी सीमाएं तय कर सकती हैं।
महिलाएं टॉक्सिक रिलेशनशिप में बाउंड्रीज कैसे सेट करें
1. अपनी भावनाओं को पहचानें और उन्हें स्वीकार करें
सबसे पहला कदम है अपनी भावनाओं को समझना। अगर आप किसी रिलेशनशिप लगातार थकी, डरी या अनदेखी महसूस कर रही हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ बिल्कुल न करें। खुद के लिए ईमानदार रहें और पहचानें कि क्या चीज़ आपको परेशान कर रही है।
2. साफ और स्पष्ट बात करें
अपनी सीमाएं बताना कोई शर्म की बात नहीं होती। अपने पार्टनर द्वारा कुछ व्यवहार को आप सहन नहीं कर सकती हैं जैसे चिल्लाना, अपमान करना, या आप पर निगरानी रखना तो उस समय आप अपनी बात को सीधे शब्दों में कहें।
3. "ना" कहना सीखें और बुरा महसूस न करें
अगर कोई भी चीज़ आपको असहज लगती है, तो उस समय "ना" कहने में बिल्कुसॉल भी ना हिचकिचाएं। कई बार टॉक्सिक लोग अक्सर आपकी "ना" को गिल्ट में बदल देते हैं, लेकिन याद रखें कि आपकी भावनाएं एकदम सही हैं।
4. अपने लिए स्टैंड लें, न कि सफाई दें
टॉक्सिक रिलेशनशिप में सामने वाला बार-बार आपकी सीमाओं को तोड़ने की कोशिश कर सकता है। ऐसे में आप बार-बार सफाई देने के बजाय अपने लिए स्टैंड लें।
5. अपने आत्म-सम्मान को आगे रखें
कोई रिश्ता इतना भी ज़रूरी नहीं होता है कि उसमें आपकी खुद की पहचान ही खो जाए। अगर आपको बार-बार खुद को कम महसूस कराया जा रहा है, तो यह संकेत है कि आपको बाउंड्रीज़ और भी ज्यादा मज़बूत बनानी पड़ेगी।
6. सपोर्ट सिस्टम को बनाकर रखें
अपनों से हमेशा टच में रहें उनसे बात करें जैसे दोस्त, परिवार, या किसी काउंसलर से। क्योंकि जब आप अपनी बात किसी खुलकर कहती हैं, तो आपको ताकत मिलती है और उस स्थिति को बेहतर समझने का नजरिया भी।
7. ज़रूरत पड़ने पर बाहर निकलने का फैसला लें
अगर बाउंड्रीज़ सेट करने के बाद भी आपको वो सम्मान नहीं मिल रहा जिसके आप हकदार हैं और उस कारण आपको मानसिक/भावनात्मक नुकसान हो रहा है, तो उस रिश्ते से बाहर निकलना भी आत्म-संरक्षण का एक हिस्सा है।