What Is Silent Treatment And Its Disadvantages: हम सभी जब किसी रिश्ते में होते हैं तो ऐसा बहुत बार होता है कि हम ट्राई करते हैं उसके बावजूद भी कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो हमारे पार्टनर को हर्ट के देती हैं। लेकिन यह होना आम बात है पर अलग तब होती है जब आपका पार्टनर हर्ट होने के बाद आप पर चिल्लाने, गुस्सा जताने की जगह आपसे बोलना, बात करना बंद कर देता है। वह हर्ट होने पर आपसे बात करने की जगह आपको इग्नोर करने लगता है और आपसे बात करना तक बंद कर देता है। इसे ही कहा जाता है साइलेंट ट्रीटमेंट। इसमें जानबूझकर न बोलना या किसी भी प्रकार की स्वीकृति प्रदान नहीं करना शामिल है। आमतौर पर नाराजगी, गुस्सा या हताशा व्यक्त करने के तरीके के रूप में इसे रखा जाता है। यह व्यवहार सिर्फ शादी या रिलेशनशिप में नहीं होता बल्कि यह अन्य रिश्तों के साथ भी देखा जाता है, जैसे- पार्टनर्स, परिवार के सदस्य, दोस्तों या सहकर्मियों के साथ। ऐसे में एक पार्टनर के मौन हो जाने पर दूसरे को कई प्रकार की मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइये जानते हैं कि साइलेंट ट्रीटमेंट के क्या नुकसान हैं।
जानिए साइलेंट ट्रीटमेंट से होने वाले कुछ नुकसान
1. कम्युनिकेशन बंद हो जाता है
अपने इमोशन या चिंताओं को खुलकर न बताकर, साइलेंट ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति कम्युनिकेशन में प्रॉब्लम पैदा करता है। इसका परिणाम यह होता है कि गलतफहमियां, अनसुलझे मुद्दे और रिश्ते में बात-चीत में गिरावट आ जाती है।
2. नाराजगी पैदा करता है
जिस व्यक्ति को नजरअंदाज किया जा रहा होता है वह साइलेंट ट्रीटमेंट का उपयोग करने वाले व्यक्ति के प्रति नाराजगी महसूस करता है। यह नाराजगी समय के साथ बढ़ सकती है और रिलेशन पर निगेटिव इफेक्ट डाल सकती है। जिससे ट्रस्ट और इमोशनल इन्टिमेशी को फिर से बनाना कठिन हो सकता है।
3. इमोशनल प्रॉब्लम्स होती हैं
साइलेंट ट्रीटमेंट मिलने वाले व्यक्ति को रिजेक्शन, आइशोलेशन और चिंता की भावनाओं का अनुभव होता है। इससे उनमें उपेक्षित और महत्वहीन होने की भावना पैदा हो जाती है। जिससे इमोशनल प्रॉब्लम होती हैं और उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
4. मेंटल हेल्थ पर इफेक्ट होता है
साइलेंट ट्रीटमेंट में शामिल दोनों व्यक्ति (करने वाले और पाने वाला) मेंटल हेल्थ पर निगेटिव इफेक्ट का अनुभव कर सकते हैं। साइलेंट ट्रीटमेंट देने वाला व्यक्ति गिल्ट या रिग्रेट फील कर सकता है, जबकि साइलेंट ट्रीटमेंट पाने वाले व्यक्ति एंग्जायटी, डिप्रेशन या कंफ्यूजन फील कर सकता है।
5. लगाई-झगड़े बढ़ते हैं
व्यक्ति जब अन्दर चल रही बातों को बोलने के बजाय साइलेंट ट्रीटमेंट देता है तो विवाद बढ़ता है। जिस व्यक्ति को नजरअंदाज किया जा रहा है वह निराश हो सकता है बात-चीत के लिए बेताब हो सकता है, जिससे ज्यादा टकराव या लड़ाई-झगड़े वाला व्यवहार हो सकता है।
6. मैनुपुलेषण और कण्ट्रोल किया जाता है
ऐसे केसेज में ऐसा भी होता है कि एक पार्टनर साइलेंट ट्रीटमेंट का इस्तेमाल दूसरे व्यक्ति को नियंत्रित करने या पनिश करने के लिए एक रणनीति के रूप में करता है। इससे रिलेशन में पॉवर इम्बैलेंस पैदा होता है और इसका प्रभाव दूसरे व्यक्ति की ओवर आल हेल्थ पर पड़ता है।