5 Lessons to Teach Kids When They Misbehave: बच्चों को अनुशासन सिखाना उनकी परवरिश का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब बच्चे गलत व्यवहार करते हैं, तो यह माता-पिता की ज़िम्मेदारी होती है कि वे उन्हें सही मार्ग दिखाएं। अनुशासन का मतलब यह नहीं है कि हम बच्चों को डांटे या सज़ा दें, बल्कि इसका मतलब है कि हम उन्हें सही और गलत का अंतर समझाएं और उन्हें अच्छे इंसान बनने में मदद करें।
Parenting Tips: शरारत करने पर बच्चों को सिखाएं ये 5 महत्वपूर्ण पाठ
1. कुछ व्यवहार सही नहीं हैं
बच्चों को यह समझना जरूरी है कि कुछ व्यवहार स्वीकार्य नहीं होते। उन्हें यह सिखाना चाहिए कि किसी का अपमान करना, झूठ बोलना, या हिंसक होना गलत है। स्वस्थ सीमाएँ स्थापित करने से बच्चों को यह जानने में मदद मिलती है कि कौन सा व्यवहार सही है और कौन सा गलत। इससे वे समाज में बेहतर तरीके से जीने और दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाने की कला सीखते हैं।
2. माता-पिता बच्चों की बड़ी भावनाओं को संभाल सकते हैं
बच्चों को यह महसूस करना चाहिए कि उनके माता-पिता उनकी बड़ी भावनाओं को संभाल सकते हैं। जब बच्चे गुस्से में होते हैं या उदास होते हैं, तो उन्हें यह जानने की जरूरत होती है कि उनके माता-पिता उनकी भावनाओं को समझते हैं और उनका समर्थन करते हैं। इससे बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में संकोच नहीं करते और अपने माता-पिता के साथ खुलकर बात कर सकते हैं।
3. बिना गलत व्यवहार के अपनी जरूरतें पूरी करना
बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे अपनी जरूरतें बिना गलत व्यवहार किए कैसे पूरी कर सकते हैं। उन्हें सही तरीके से संवाद करना, सहयोग करना और समस्याओं को हल करना सिखाया जाना चाहिए। नए कौशल सीखने से बच्चे अपनी जरूरतों को सही तरीके से व्यक्त कर सकते हैं और दूसरों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं।
4. व्यवहार के परिणाम समझना
बच्चों को उनके व्यवहार के प्राकृतिक परिणामों का सामना करने के लिए तैयार करना चाहिए। अगर वे कोई गलती करते हैं, तो उन्हें उसका परिणाम भी समझना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर वे अपने खिलौने तोड़ते हैं, तो उन्हें नए खिलौने नहीं मिलेंगे। इससे वे अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेना और भविष्य में सही निर्णय लेना सीखते हैं।
5. बिना शर्त प्रेम
बच्चों को यह जानना चाहिए कि उनके माता-पिता उन्हें बिना शर्त के प्यार करते हैं। चाहे वे कोई भी गलती करें, उन्हें हमेशा अपने माता-पिता के प्यार और समर्थन का अहसास होना चाहिए। इससे बच्चे आत्मविश्वास और सुरक्षा महसूस करते हैं और वे अपने माता-पिता के साथ एक मजबूत संबंध बना सकते हैं।