How Can Women Support Each Other At Workplace: आज भी वर्कप्लेस पर कई महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आज भी महिलाओं को लेकर कई प्रकार की धारणाएं प्रचलित हैं। ऐसे में वर्कप्लेस पर एक महिला दूसरी महिला को अच्छे तरीके से समझ सकती है और एक दूसरे का सपोर्ट कर सकती है। जानिए यह सिंपल तरीके कैसे महिलाएं कर सकती हैं एक दूसरे को सपोर्ट-
जानिए वर्कप्लेस पर महिलाएं कैसे कर सकती हैं एक दूसरे को सहयोग
1. आईडियाज सुनें
कई बार किसी जरूरी विषय पर महिलाओं से तर्क नहीं लिए जाते। उनकी बातों को उतना जरुरी नहीं समझा जाता। परंतु एक वर्कप्लेस पर यह ध्यान रखें कि महिलाओं के तर्क और उनके विचार भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितना कि पुरुषों के हैं। ऐसे में उनके विचार को जरूर सुनें और उनसे विचार विमर्श भी करें।
2. औरतों को कॉन्फिडेंट बनने दें
कई बार महिलाओं को अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं रहता। कभी-कभी वह अपना आत्मविश्वास भी खो देती हैं। कभी यदि वह कुछ एग्रेसिव होकर बोले या अपने विचारों पर जोर दें तो उसे भी गलत समझा जाता है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि महिलाएं एक दूसरे का सहयोग करें। एक दूसरे के आत्मविश्वास को बढ़ाएं।
3. उपलब्धियों को सराहें
कई बार औरतों द्वारा किए गए काम को उतना सराहा नहीं जाता। उनके किए गए परिश्रम को सराहना नहीं मिलती। कभी-कभी सफलता मिलने पर उन्हें यह बोल दिया जाता है कि वह भाग्यशाली है या उन्होंने किसी से मदद ली है। ऐसे में हमेशा वर्कप्लेस पर महिलाओं की उपलब्धियों को सराहे और उन्हें सेलिब्रेट करें।
4. सेल्फ डाउट हटाएं
कभी-कभी महिलाओं को अपने आप को काबिल दिखाने के लिए ज्यादा काम करना पड़ जाता है या वह खुद ही जरूरत से ज्यादा काम करने लगती हैं। ऐसे में उन्हें बताएं कि वह अपने आप को अंडरएस्टीमेट ना करें। उनमें कभी भी सेल्फ डाउट ना आने दें। वह भी वर्कप्लेस के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कोई पुरुष।
5. फीडबैक दें
पुरुषों के मुकाबले कभी-कभी महिलाओं को उतना फीडबैक नहीं दिया जाता। बगैर फीडबैक के अपनी गलतियां सुधारना भी मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी ऐसे फीडबैक भी मिलते हैं जिनका कोई सरल और सीधा मतलब निकलकर नहीं आता और ऐसे में कभी-कभी वह महिलाओं को कंफ्यूज भी कर देता है। ऐसे में जरूरी है कि आप उनको उनकी परफॉर्मेंस के हिसाब से सीधा और सटीक फीडबैक देते रहें।
6. मेंटर और स्पॉन्सर
कभी-कभी महिलाओं को ज्यादा मेंटरशिप या स्पॉन्सरशिप नहीं मिल पाती है। ऐसे में वर्कप्लेस पर उनकी ग्रोथ रुक जाती है। उनको ज्यादा लीडरशिप के रोल भी नहीं मिलते। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं की भी मेंटरिंग हो और उनको भी नए-नए मौके मिलते रहें।