Coping with Failure and Moving Forward: फेलियर सब की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण अंग है। अगर आप यह चाहते हैं कि किसी भी मुकाम पर बिना किसी फेलियर के पहुंच जाए तो यह मुमकिन नहीं है। ऐसे ही जब बच्चे फेलियर का सामना करते हैं तो उनका हौसला टूट जाता है और उनके कॉन्फिडेंस में कमी आ जाती है। उन्हें लगता है कि शायद हम में कोई कमी है या फिर अभी हमें इस काम को छोड़कर कुछ और करना चाहिए क्योंकि इसमें हमें सफलता नहीं मिल रही। इसका कारण यह है कि उन्हें फेलियर के साथ डील करना नहीं आता है। आज हम बताएंगे कि कैसे फेलियर के बाद आप बच्चे को प्रोत्साहित कर सकते हैं?
असफलता के बाद बच्चे को कैसे प्रेरित करें?
बच्चे को दोष मत दें
फेल होने पर बच्चों की गलती मत निकाले। बहुत सारे मां-बाप ऐसा करते हैं कि जब बच्चा फेल हो जाता है तो वे उनकी गलती निकालने लग जाते हैं। ऐसे आप बच्चे को ज्यादा परेशान कर रहे हैं। इससे उसके मन में सेल्फ डाउट पैदा होने लग जाएगा और वह नई चीज करने से घबराने लग जाएगा। उसे लगेगा कि उसमें ही कमी कोई कमी है या फिर वह किसी काम के लायक नहीं है। इसलिए कभी भी बच्चों के फेल होने पर उसे दोष मत दे।
फीलिंग्स को वैलिडेट करें
बहुत सारे मां-बाप ऐसा भी करते हैं कि बच्चों के फेल होने पर उनकी फीलिंग्स को वैलिडेट नहीं करते हैं। अगर फेल होने के बाद वे दुखी हो रहे हैं या फिर उनका मन उदास हो गया है तो माता-पिता उनकी फीलिंग्स को सपोर्ट नहीं करते, बल्कि उन्हें खुश होने के लिए कहते हैं या फिर उन्हें कहते हैं कि इतना रिएक्ट करने की कोई जरूरत नहीं है। बच्चे को किसी भी कठिन समस्या से निकलने में समय लग सकता है। इसलिए आप उनके इमोशंस को वैलिडेट करें और उन्हें वैसा ही महसूस करने दें जैसे उन्हें महसूस हो रहा है।
लर्निंग माइंडसेट डेवलप करें
बच्चों का लर्निंग माइंडसेट डेवलप करना बहुत जरूरी है। आपको उसे बताना चाहिए कि जीवन में कि जरूरी नहीं हर चीज में सक्सेसफुल होना ही जरूरी है। अगर हम फेलियर से ज्यादा लर्निंग के ऊपर फोकस करेंगे तो उन्हें इतना बुरा महसूस नहीं होगा। इससे उनका माइंडसेट पॉजिटिव होगा और उनके ज्ञान में कुछ ऐसा जान शामिल जो उन्हें पहले नहीं पता था। इसलिए हमेशा ही बच्चे का लर्निंग माइंडसेट, डेवलप करना शुरू करें ताकि उसे फैलियर आने पर ज्यादा बुरा महसूस ना हो।
परफेक्ट बनने का ज्ञान मत दें
जब माता-पिता बच्चों को गलतियां करने का मौका देते हैं और उन्हें परफेक्ट बनने के लिए जबरदस्ती नहीं करते हैं तब बच्चे की ग्रोथ एक अलग ही तरीके से होती है। इससे बच्चों को फेलियर से भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। बहुत सारे माता-पिता बच्चों को गलती करने ही नहीं देते हैं। वह हमेशा ही इस बात के लिए दबाव डालते1 हैं कि बच्चे से कोई गलती होनी ही नहीं चाहिए और उसे हर फील्ड में आगे ही बढ़ना चाहिए लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। बच्चा जब तक गलती नहीं करेगा तब तक सीख नहीं पाएगा और जब भी जिंदगी में कोई भी फेलियर आएगा तो वह घबराने लग जाएगा।