How Right Is It to Punish a Child: भारतीय घरों में शुरू से ही जब बच्चा कोई गलती करता है तब उसे पनिशमेंट दी जाती है। क्या यह सही एक्ट है? क्या मां-बाप को बच्चों की गलती पर हर बार पनिशमेंट देनी चाहिए? क्या बच्चा सिर्फ पनिशमेंट से ही सुधरता है? क्या डिसिप्लिन सिर्फ पनिशमेंट से ही आता है? आज हम इन सभी सवालों के जवाब आपको देंगे-
Parenting Tips: बच्चे को पनिशमेंट देना कितना सही?
क्या बच्चों को सजा देना जरूरी है?
लाइफ में हर चीज का बैलेंस होना जरूरी है, अगर बच्चे के साथ आप अच्छे से पेश आते हैं, उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया जाता है तो यह भी एक चांस रहता है कि बच्चा बिगड़ने लगता है। कई बार गलती होने पर प्यार से समझाने पर भी बच्चे नहीं समझते तब आपको उनके साथ स्ट्रिक्ट होने की जरूरत है लेकिन बच्चे को ऐसी पनिशमेंट मत दे जिससे उसके ऊपर नेगेटिव और उसकी इमोशनल वेल बीइंग पर प्रभाव पड़े।
सबसे पहले उसे प्यार से बात करने की जरूरत
सबसे पहले बच्चे के साथ प्यार से बात कीजिए। उसे सही और गलत के बीच फर्क समझाना पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। ऐसा नहीं होता कि आप बच्चे के साथ बातचीत न करे, गाइडेंस ना दे और जब बच्चा गलती करे तो आप उसे पनिशमेंट दें। इसका बच्चों की मानसिकता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। जब बच्चा कोई गलत काम या फिर कुछ ऐसी एक्टिविटी करता है जिससे नुकसान होता है इसके पीछे जरूरी नहीं कि बच्चे की गलती हो उसके पीछे बहुत सारे फैक्टर काम करते हैं। बच्चा कैसी संगत में रह रहा है, उसके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है और बड़े उसके सामने कैसे पेश आते हैं। वह अपने आसपास जिन चीजों को देखता है वही अपने जीवन में करने की कोशिश करता है।
बच्चों की गलत चीजों पर बढ़ावा मत दे
बहुत सारे पेरेंट्स ऐसे भी होते हैं जब बच्चा कोई गलती करता है पहले उसको टोकते नहीं है और उसे समझाना जरूरी नहीं समझते पर जब बच्चा एकदम बुरी चीजों में पड़ जाता है तब उसे बुरा कहने लग जाते हैं। उसके साथ भद्दा व्यवहार करते हैं जैसे मारना-पीटना और ऐसी बातें बोलते हैं जो बच्चे के मन को दुख देती हैं। इसलिए शुरू से ही बच्चों को समझना शुरू कर दें। जब भी बच्चा गलती करें उसे गाइड करने से पीछे मत हटें।
बच्चों के प्रति जिम्मेदारियों को पूरा करना ही पेरेंटिंग नहीं
ट्रेडिशनल पेरेंटिंग में बच्चों की जिम्मेदारियों को पूरा कर देना और गलती होने पर उन्हें ही दोष देना पेरेंटिंग समझा जाता है। इसके परिणाम काफी बुरे देखने को मिले हैं और आज भी कई पेरेंट्स ऐसी पेरेंटिंग को ही समर्थन देते हैं। बच्चों की जिम्मेदारियों को पूरा करने में कोई भी बुराई नहीं है लेकिन उनके साथ समय व्यतीत करना और उनकी प्रॉब्लम्स को सुनना भी पेरेंटिंग का पार्ट है।