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Pocket Money: बच्चों को पॉकेट मनी से जुड़ी ये चीजें सिखाएं

पेरेंटिंग: पॉकेट मनी के साथ-साथ जरूरी है माता-पिता बच्चों को पॉकेट मनी को लेकर हर वो जरूरी बातें बताएं जो उनके लिए जरूरी है। बहुत से बच्चे बहुत खर्चीले होते हैं तो बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें मनी को खर्च करना उतना अच्छे से नहीं आता।

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Prabha Joshi
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पाकेट मनी

बच्चों को पॉकेट मनी से जुड़ी जरूरी चीजें समझाएं

Pocket Money: पैसा बच्चों के लिए बहुत जरूरी होता है। बच्चों को भी अपनी लाइफ के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है। वो बात और है उनके खर्चे कम होते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को उनके खर्चे के लिए पॉकेट मनी उपलब्ध कराते हैं। ये पॉकेट मनी भी बच्चों के लिए बहुत जरूरी होता। 

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पॉकेट मनी के साथ-साथ जरूरी है माता-पिता बच्चों को पॉकेट मनी को लेकर हर वो जरूरी बातें बताएं जो उनके लिए जरूरी है। बहुत से बच्चे बहुत खर्चीले होते हैं तो बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें मनी को खर्च करना उतना अच्छे से नहीं आता। ऐसे में जरूरी है माता-पिता बच्चों को पॉकेट मनी देने के साथ-साथ उस पर उन्हें गाइड भी करें।बच्चों का करिअर

बच्चों को पॉकेट मनी के बारे में क्या बताएं 

माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को पॉकेट मनी से जुड़ी निम्नलिखित बातें जरूर बताएं :-

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सेविंग्स करना सिखाएं 

बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो माता-पिता या भाई-बहनों और अन्य जगहों से मिले रुपयों को बहुत ज्यादा खर्च कर देते हैं। वे नहीं समझते सेविंग्स क्या होती है। आगे चलकर ये उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में जरूरी है बच्चों को बचपन से ही बचत करना सिखाएं। उन्हें समझाएं कि मनी को कैसे सेव किया जाता है। 

शेयर करना सिखाएं

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बहुत से बच्चे होते हैं जो अपने रुपए को बिल्कुल नहीं देते। वैसे तो ऐसी नौबत बहुत कम आती है लेकिन फिर भी बच्चों को बताएं कि शेयर करना कितना जरूरी होता है। 

खर्च करना सिखाएं

माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को पॉकेट मनी देने के साथ-साथ बताएं कि किस तरह उसे खर्च किया जाता है, कहां पर प्राथमिकता तय की जाती है। मसलन बच्चों को बताएं कि खर्च के नाम पर पहली वो कौन-सी जरूरतें हैं जो पूरी होनी चाहिएं। इस तरह बच्चे को उचित तरह से खर्च करना सिखाएं। 

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छुट-पुट काम में हाथ बंटवाएं 

पॉकेट मनी जरूरी नहीं माता-पिता ऐसे ही दें। माता-पिता बच्चों को अच्छे-अच्छे काम करवाकर उन्हें सिखा सकते हैैं कि उन्हें इसके अवार्ड में इतना एमाउंट मिलेगा अगर वो अच्छे से करेंगे। काम पूरा करने पर बच्चों को रुपए दें। इससे बच्चे का न केवल कॉन्फीडेंस लेवल बढ़ेगा बल्कि वो रुपयों की वेल्यू भी समझने लगेंगे। इस तरह  बच्चों को उनके कामों के एचीवमेंट में पे किया जा सकता है।

बच्चों को बचपन से ही पॉकेट मनी को लेकर उपर्युक्त गुणों को सिखाने से आने वाले समय में बच्चों को किसी तरह की समस्या नहीं होती। अन्यथा बड़ी उम्र में खर्च के नाम पर बहुत-सी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। आज बच्चे बहुत कम उम्र में ही माता-पिता से दूर रहने लगते हैं। ऐसे समय में बच्चों को बचपन से ही सिखाए ये गुण उनके बहुत काम आते हैं।  

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