Child Study: हर बच्चे का बचपन में पढ़ने में मन बहुत आसानी से नहीं लगता। लेकिन अगर बात खेल की हो तो बच्चा एकदम उतावला हो जाता है। ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि बचपन में बच्चे को खेल-खेल में पढ़ाया जाए। इससे न केवल बच्चों की बुद्धि बढ़ती है बल्कि उनके दिमाग में भी जल्दी सारी चीजें बैठ जाती हैं।
बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत-से तरीके अपनाए जा सकते हैं। खेल-खेल में पढ़ाने के साथ ही बच्चों को बहुत बचपन से इस तरह पढ़ाया जा सकता है कि आने वाले समय में उन्हें किसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े। माता-पिता की ये चिंता हमेंशा बनी रहती है कि हमारा बच्चा कब पढ़ना सीखेगा।
बच्चों को पढ़ना कैसेे सिखाएं
बच्चों को पढ़ाने के लिए पेरेंट्स निम्नलिखित टिप्स अपना सकते हैं :-
खेल-खेल में पढ़ाएं बच्चों को
बच्चों को पढ़ाने के लिए खेल एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए जरूरी नहीं कि आप कोई खेल से जुड़ा सामान लेकर आएं और फिर बच्चों को सिखाएं, नहीं। खेल-खेल में बच्चों को सिखाने से तात्पर्य है कि जब आप बच्चों के साथ मनोरंजन कर रहे हों, उस समय बच्चों को अक्षर ज्ञान भी दें। ऐसा करने से बच्चा शब्दों को बार-बार दोहराएगा जिससे उसको भाषा का ज्ञान होगा। ओरली सिखाना सबसे अच्छा और पहला तरीका है।
बच्चों को लिखना सिखाएं
जब बच्चे को हल्का-फुल्का बोलना आ जाए तो उसे अक्षर ज्ञान देना शुरू कर दें। बच्चे को लिखना सिखाएं। शुरुआत में थोड़ा-थोड़ा लिखना सिखाएं और बार-बार प्रेक्टिस कराएं। इससे बच्चों को शब्द बनाना याद रहेगा और वो कंफ्यूज भी नहीं होएंगे। बच्चों को बड़ा-बड़ा अक्षर बनवाना सिखाएं। इससे उन्हें अक्षरों का ज्ञान लंबे समय तक रहेगा और वे जल्दी नहीं भूलेंगे।
चित्रों से समझाएं
बच्चों को चित्रों के प्रति ज्यादा आकर्षण होता है। ऐसे में अगर अक्षरों का ज्ञान चित्रों के साथ कराएंगे तो बच्चों को जल्दी समझ आएगा। इसके साथ ही बोलते समय उनको उच्चारण समझाएं कि किस तरह किस अक्षर का कैसा उच्चारण रहेगा। मुंह बना-बनाकर बोलना सिखाएं। इससे वो आपको कॉपी करेंगे और उन्हें जल्दी याद होगा।
बाजार के टूल्स का इस्तेमाल
जब बच्चों को अच्छा अक्षर ज्ञान हो जाए, तो आप उनके लिए बाजार से एल्फाबेट सीरीज, नंबर सीरीज से जुड़े प्ले टूल्स लाकर उन्हें दे सकते हैं। फिर आप उन्हें बोलें कि वो सीरीज के हिसाब से लगाएं। इस तरह बच्चे को एक सीरीज से सभी अक्षर याद रहेंगे और वो आगे-पीछे अक्षरों को नहीं करेंगे।
इस तरह बच्चों के कौशल ज्ञान में आप घर से ही वृद्धि कर सकते हैं। बच्चे के थोड़ा बड़ा होने पर आप अन्य बच्चों के साथ कलेक्टिव स्टडी करा सकते हैं। इससे बच्चे को और अच्छा लगेगा। ध्यान रहे इस दौरान आप किसी तरह का बच्चों में कंपेरिजन न करें, इससे बच्चे में विपरीत असर पड़ सकता है।