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क्यों मुश्किल है इंडिया में Gentle Parenting जानिए कारण

पेरेंटिंग के कई प्रकार के स्टाइल हो सकते हैं। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ बहुत ज्यादा सख्त होते हैं तो कुछ चीजों को आराम से और नर्मी से डील करते हैं। खास करके भारत में स्ट्रिक्ट पेरेंटिंग देखने को मिलती है।

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Shruti
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(Image Credit - Pinterest)

Reasons Why Gentle Parenting May Not Work In India : पेरेंटिंग के कई प्रकार के स्टाइल हो सकते हैं। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ बहुत ज्यादा सख्त होते हैं तो कुछ चीजों को आराम से और नर्मी से डील करते हैं। खास करके भारत में स्ट्रिक्ट पेरेंटिंग देखने को मिलती है। भारत में कई पेरेंट्स आजकल बच्चों के साथ बहुत जेंटल बिहेवियर भी रखने लगे हैं परंतु यह भी एक चिंता का विषय है क्योंकि भारत में बहुत अधिक जेंटल पेरेंटिंग बच्चों के डेवलपमेंट में एक बाधा भी बन सकती है। भारत में जेंटल पेरेंटिंग क्यों काम नहीं कर सकती, इसके पांच कारण निम्नलिखित हैं

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जानिए कारण क्यों मुश्किल है इंडिया में जेंटल पेरेंटिंग 

1. सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ

भारतीय समाज में पारंपरिक पेरेंटिंग की गहरी जड़ें हैं जहाँ अनुशासन और आज्ञाकारिता को महत्व दिया जाता है। बच्चों को बड़ों का सम्मान करना और उनकी बात को मानना सिखाया जाता है। जेंटल पेरेंटिंग, जो बच्चों को अधिक स्वतंत्रता का विकल्प देती है, इस पारंपरिक दृष्टिकोण से भिन्न हो सकती है।

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2. शिक्षा प्रणाली

भारतीय शिक्षा प्रणाली अक्सर रटने पर आधारित होती है जो बच्चों में स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित नहीं करती। जेंटल पेरेंटिंग बच्चों को सोचने की स्वतंत्रता देती है, लेकिन जब शिक्षा प्रणाली इसका समर्थन नहीं करती, तो यह दृष्टिकोण अप्रभावी हो सकता है।

3. बड़े परिवारों का दबाव 

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बड़े परिवारों में अक्सर बच्चों पर अधिक अपेक्षाएँ और दबाव होते हैं। जेंटल पेरेंटिंग में जहाँ बच्चों को अपनी राय बनाने की आजादी होती है, वहीं पारिवारिक दबाव के कारण बच्चे इस आजादी का उपयोग नहीं कर पाते।

4. आर्थिक चुनौतियाँ

आर्थिक संघर्ष के कारण माता-पिता के पास जेंटल पेरेंटिंग के लिए आवश्यक समय और संसाधन नहीं हो सकते। जब माता-पिता को आर्थिक स्थिरता के लिए संघर्ष करना पड़ता है, तो उनके पास बच्चों के साथ गहराई से जुड़ने और उनकी भावनाओं को समझने का समय कम होता है।

5. मीडिया और तकनीकी प्रभाव

आज के युग में मीडिया और तकनीक ने बच्चों के विकास पर बड़ा प्रभाव डाला है। जेंटल पेरेंटिंग में बच्चों को स्क्रीन समय और तकनीकी उपकरणों के उपयोग में स्वतंत्रता दी जाती है, लेकिन अत्यधिक उपयोग से बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए बच्चों के स्क्रीन टाइम इत्यादि को कंट्रोल करना भी जरूरी है।

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