Teach Your Children About Finance: आजकल पेरेंट्स अपने बच्चों को सभी चीजें सिखाना चाहते हैं जो उन्हें सोसाइटी में बुद्धिमान और स्मार्ट बनाए। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि बच्चों को फाइनेंस संबंधित बातें भी सिखाना बहुत ज़रूरी है। इससे उन्हें पैसों के महत्व का पता चलेगा और वे बचपन से ही बचत करने की आदत डालेंगे, जिससे उनका फ्यूचर फाइनेंशियली सुरक्षित होगा। चलिए, जानते हैं वो तरीके जिनसे आप अपने बच्चों को फाइनेंस से जुड़ी जरूरी बातें सिखा सकते हैं।
बच्चों को ऐसे सिखाएं फाइनेंस से जुड़ी बातें
पॉकेट मनी दें
बच्चों को फाइनेंस की समझ को बढ़ाने के लिए हर महीने एक निर्धारित राशि की पॉकेट मनी (Pocket Money) देने की आदत डालें। उन्हें समझाएं कि ये पैसे वे अपनी गुल्लक में रखें और इससे वे अपनी ज़रूरत का सामान खरीद सकते हैं।
बजट तैयार करना सिखाएं
बच्चों को यह सिखाएं कि वे कैसे अपने महीने के बजट को तय करें और उसी बजट के अनुसार अपने खर्च करें। इससे उन्हें समझ में आएगा कि सही तरीके से खर्च करने से वे कितना पैसा बचा सकते हैं। एक डायरी में बजट, खर्चे, और बचत की जानकारी नोट करने का अभ्यास कराएं।
स्मार्ट शॉपिंग सिखाएं
अपने बच्चों को शॉपिंग के लिए साथ ले जाएं और उन्हें पहले ही उनका शॉपिंग बजट बता दें। उनको सिखाएं कि कैसे वे अपने बजट के अनुसार बेहतरीन सामान चुन सकते हैं, जबकि उन्हें कई विकल्पों में से चुनाव करना हो। उन्हें डिस्काउंट (Discount), कूपन (Coupan), और अन्य बचत के तरीकों के बारे में भी बताएं। साथ ही, उनकी खरीदारी के सामान को मिलाकर बिल की जाँच करने की आदत भी डालें।
अकेले सामान लेने भेजें
बच्चों को थोड़े-थोड़े पैसे देकर आस-पास की दुकानों पर शॉपिंग करने के लिए भेजें। जब वे घर लौटें, तो उनसे पूरा हिसाब चेक करने के लिए कहें। उनसे पूछें कि उन्होंने कितने पैसे खर्च किए और कितने वापस लाये हैं।
घर के फाइनेंशियल डिसिजन में शामिल
अक्सर पैरेंट्स बच्चों के सामने पैसों से जुड़ी बातें करने से शर्मिंदा महसूस करते हैं, लेकिन यह गलत है। आप अपने बड़े फाइनेंशियल डिसिजन (Financial Decision) की योजना बच्चों के साथ करें, जैसे कि घर, गाड़ी, या कोई बड़ी खरीददारी। उन्हें अपना बजट और लिमिट के साथ यह बताएं कि आप किस तरह से बचत और लोन से इन चीजों का प्रबंधन करते हैं।
इच्छाओं और ज़रूरतो में अंतर
बच्चे अक्सर नई चीज़ों को लेने के लिए ज़िद्द करते हैं, और अगर वह मिल नहीं पाती है, तो मन में फ्रस्ट्रेशन हो सकता है। इसलिए पैरेंट्स उनकी हर इच्छा को पूरा करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, यह आगे जाकर ख़तरनाक हो सकता है। इसलिए बचपन से ही उन्हें इच्छाओं (Desires) और ज़रूरतो (Needs) के बीच अंतर समझाना ज़रूरी है।