These Mistakes Of Parents Make Children Angry (Parenting Tips): हम सभी जानते हैं कि माता-पिता के कामों का उनके स्वभाव का असर बच्चों पर होता है। कुछ बच्चे अपने माता-पिता की परछाई होते हैं। जैसा पेरेंट्स का स्वाभाव होता है बच्चे भी बिल्कुल वैसा ही स्वभाव रखते हैं। लेकिन माता-पिता को अपने बच्चों का ख्याल रखना चाहिए। बच्चों का मन बहुत कोमल होता है ऐसे में उन्हें छोटी-छोटी बातों से आघात पहुंच सकता है। इसलिए अपने बच्चों से साथ ऐसा व्यवहार करने से बचें जो उनके मन में गुस्सा पैदा कर दे। हम सभी के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है कि बच्चों की हेल्थ के लिए गुस्सा खतरनाक है और यह उन्हें निगेटिव एनर्जी से भर सकता है। पेरेंट्स बहुत बार ऐसी गलतियाँ करते हैं जो वे तो समझ भी नहीं पाते हैं लेकिन उनकी गलतियाँ बच्चों के दिमाग में गुस्सा भर देती हैं। इससे बच्चे धीरे-धीरे लगातार गुस्सा या परेशान रहने लगते हैं। आइये जानते हैं कि माता-पिता की कौन सी गलतियाँ बच्चों को गुस्सैल बना सकती हैं।
जानिए पेरेंट्स की कौन सी गलतियाँ बच्चों को गुस्सैल बनाती हैं
1. कम ध्यान देना या उपेक्षा
बच्चों को अपने माता-पिता से ध्यान और इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। जब माता-पिता लगातार उपलब्ध नहीं होते हैं या बच्चों की जरूरतों की उपेक्षा करते हैं, तो बच्चे रिजेक्टेड और क्रोधित महसूस करते हैं। माता-पिता को कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए उन्हें अपने बच्चों के लिए समय जरूर निकालना चाहिए।
2. ज्यादा कण्ट्रोल या आलोचना
बच्चों पर जरूरत से ज्यादा कण्ट्रोल करना या उनकी जरूरत से ज्यादा आलोचना होने से बच्चे घुटन महसूस करते हैं आलोचना को सुनकर बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करने में और ज्यादा असमर्थ हो जाते हैं, जिससे निराशा और गुस्सा पैदा होती है।
3. सहानुभूति की कमी
अगर माता-पिता अपने बच्चे के इमोशंस और फीलिंग्स को समझने और एक्सेप्ट करने में सफल नहीं रहते हैं, तो बच्चा अमान्य महसूस कर सकता है, जिससे गुस्सा और नाराजगी हो सकती है। पेरेंट्स को अपने बच्चों की फीलिंग्स को समझने का प्रयास जरुर करना चाहिए।
4. भाई-बहनों या अन्य बच्चों से तुलना
माता-पिता अक्सर बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों या उनके भाई बहनों से करने लगते हैं जो अच्छा नहीं होता। किसी बच्चे की लगातार उसके भाई-बहनों या अन्य बच्चों से तुलना करने से नाराजगी की भावना पैदा हो जाती है।
5. अवास्तविक अपेक्षाएँ
किसी बच्चे के एजुकेशन, एथलेटिक या व्यवहारिक प्रदर्शन के लिए जरुरत से ज्यादा अपेक्षाएं निर्धारित करना उन पर जरुरत से ज्यादा दबाव डाल सकता है, जिससे जब वे इन अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ महसूस करते हैं तो निराशा और गुस्सा उनके अन्दर पनपने लगता है।