Children Anger: अक्सर छोटी उम्र के बच्चों को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है। बच्चे में गुस्से के बहुत से कारण होते है। छोटी-छोटी बात पर गुस्सा कर देना, अपनी जिंद्द न पूरी होने पर गुस्सा करना, होमवर्क न करने पर गुस्सा करना और ऐसे बहुत से अनगिनत कारण हैं जिसके चलते बच्चे गुस्सा करने लगते हैं। कई बार तो गुस्सा हद से ज्यादा बढ़ जाता है।
कभी-कभी का बच्चों का गुस्सा सामान्य है लेकिन बार-बार बहुत ज्यादा बच्चों का गुस्सा करना सामान्य बात नहीं हैं। कई बार तो हालात ये हो जाते हैं कि बच्चे माता-पिता या अपने बड़े-बूढ़ों पर भी हाथ उठाना शुरु कर देते हैं। जरूरी है ऐसे में ये समझना कि बच्चे को गुस्सा बार-बार क्यों आता है।
बच्चा बार-बार गुस्सा क्यों करता है
ये जानने के लिए बच्चा बार-बार गुस्सा क्यों करता है, अपनाएं ये उपाय :-
कारण को जानें
आप बच्चे से खुद उसके गु्स्सा आने पर पूछ सकते हैं कि आखिर वो इतना गुस्सा क्यों कर रहा है? इसके साथ ही आप पूछ सकते हैं कि उसे कुछ चाहिए तो नहीं? ऐसे में बहुत बार बच्चे अपने मन की बात बताते हैं जिससे काफी हद तक उनके गुस्से के कारण का अंदाजा लग जाता है। बच्चे के गुस्सा होने के कारण उनके अपने निजी कारण भी हो सकते हैं और बाहरी कारण भी मसलन उनके दोस्त, टीचर या कोई अन्य व्यक्ति।
बच्चे को समझें
माता-पिता के लिए बहुत जरूरी है अपने बच्चे को समझना। बच्चे को तभी समझ सकते हैं जब उनकी भावनाओं और विचारों को जानें। बच्चों को समय देने से उसकी भावनाओं और विचारों को समझा जा सकता है। आगे चलकर किसी कारणवश अगर बच्चे में बार-बार गुस्सा आने के लक्षण दिखेंगे तो ऐसे में बच्चे को आसानी से सुधारा जा सकेगा।
साइकोलॉजिस्ट को दिखाएं
बच्चे का बहुत ज्यादा गुस्सा आने पर और समझ में न आने पर कि बच्चा इतना गुस्सा क्यों कर रहा है किसी साइकोलॉजिस्ट से बात कर सकते हैं। इसमें जरूरी नहीं बच्चे को साथ लेकर जाएं बल्कि बच्चे की अनुपस्थिति में ही किसी कॉउंसलर से राय लेना ज्यादा सही होगा। बच्चों को इस तरह उनके गु्स्से के पीछे मनोवैज्ञानिक कारणों को समझा जा सकेगा।
हर जिद न पूरी करें
कई बार माता-पिता के बहुत ज्यादा प्यार देने के कारण भी बच्चे गुस्सैल हो जाते हैं। ऐसा इसलिए कि एक समय तक तो उनकी मांगे पूरी हो रही होती हैं लेकिन अचानक माता-पिता का मांगों में रोक लगा देने से बच्चों को नेगेटिव थाट्स माइंड में आने लग जाते हैं। ऐसेे में जरूरी है बच्चों की हर मांग को पूरा करने से बचें।
इस तरह बच्चों को उनके गुस्से से बचाया जा सकता है। जरूरी है समय-समय पर बच्चों को एक्टीविटीज में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। इससे बच्चे को किसी तरह का तनाव नहीं रहेगा और बच्चे में गुस्सा आने की भावना विकसित नहीं होगी।