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LGBTQ बच्चे के पेरेंट्स को क्या चुनौतियां आती हैं?

अगर आपके घर भी एक एलजीबीटी बच्चा हो गया है तो यह जर्नी आपके लिए आसान नहीं होने वाली है। समाज ने अभी भी उन्हें स्वीकार नहीं किया है। आईए जानते हैं कि एलजीबीटी के पेरेंट्स होने पर किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है-

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Rajveer Kaur
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LGBTQ

What Are The Challenges Faced By Parents Of LGBTQ Kids? हमारे समाज में एलजीबीटी कम्युनिटी को वो दर्जा नहीं मिला है, जिसके वे हकदार हैं। आज भी उनके साथ भेदभाव होता है। उन्हें बुरा महसूस करवाया जाता है। उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। उनकी चॉइस और डिसीजन के ऊपर सवाल उठाए जाते हैं। उनके रहने के तरीके को भी अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में अगर आपके घर भी एक एलजीबीटी बच्चा हो गया है तो यह जर्नी आपके लिए आसान नहीं होने वाली है। समाज ने अभी भी उन्हें स्वीकार नहीं किया है। आईए जानते हैं कि एलजीबीटी के पेरेंट्स होने पर किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है-

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LGBTQ बच्चे के पेरेंट्स को क्या चुनौतियां आती हैं?

अपने बच्चे को स्वीकार

सबसे पहले चैलेंज एलजीबीटी बच्चों के पेरेंट्स को यह आता है कि वह अपने बच्चों को स्वीकार करने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह उनके लिए एक सदमे की तरह है क्योंकि कोई भी पेरेंट्स सिर्फ लड़का या लड़की को ही एक्सपेक्ट करते हैं। लेकिन जब वह बच्चा एलजीबीटी कम्युनिटी से होता है तो वो इस बात को सहन नहीं कर पाते हैं। अभी भी हमारे समाज में सेक्सुअलिटी को लेकर खुलकर बात नहीं की जाती है जिसके कारण मां-बाप अपने बच्चों को स्वीकार करने में बहुत कठिनाई महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि उनके बच्चे में कोई खराबी या बीमारी है या फिर वह गलत संगत में पड़ गया है। इससे वह बच्चे को बहुत ही रोककर  रखते हैं और उसे वैसा बनने के लिए कहते हैं जैसा समाज में सभी चाहते हैं।

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समाज के तानों को डर

उन्हें यह भी डर होता है कि अगर लोगों को पता चल गया कि हमारा बच्चा एलजीबीटी है तो लोग क्या सोचेंगे। उनके बच्चे को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उसे अलग-अलग नाम से बुलाया जाएगा। उसके बारे में गलत बातें बनाई जाएंगी। पेरेंट्स को सवाल किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें यह डर भी सताता रहता है कि दूसरे उनके बच्चों को कैसे ट्रीट करेंगे? क्या उन्हें स्वीकार किया जाएगा जैसे बाकी बच्चों को किया जाता हैं?

उनकी परवरिश को लेकर सवाल

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हमने शुरू से ही मां बाप को सिर्फ लड़का और लड़की की परवरिश करते हुए देखा है लेकिन जब बात एक एलजीबीटी बच्चे की आती है तो पेरेंट्स के पास उसका कोई अनुभव नहीं होता है। उनके पास कोई जानकारी नहीं होती है और ना ही अवेयरनेस होती है। इसलिए उनके लिए यह चैलेंज उनकी परवरिश को लेकर भी आता है। उन्हें नहीं पता चलता है कि कैसे बच्चे के साथ पेश आना है और कैसे बच्चे की जरूरत को समझना है। उन्हें ऐसे ग्रुप के बारे में नहीं पता होता है जहां पर वह अपने बच्चों को जैसे और बच्चों के साथ मिल सकते हैं, तो परवरिश भी एक बड़ा चैलेंज है। जब आप एक एलजीबीटी बच्चे के मां-बाप बनते हैं तो उसके लिए आपको अच्छे तरीके से खुद को अवेयर करना चाहिए।

समझना कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया

पेरेंट्स को खुद भी गिल्ट महसूस करने की जरूरत नहीं है। समाज की तरफ से आपको कहा जाएगा कि आपके घर में एलजीबीटी बच्चा हुआ है तो आप ब्लेस्ड नहीं है या फिर हममें ही कुछ खराबी है। अगर आपके घर में एलजीबीटी बच्चा पैदा होता है तो वह नॉर्मल है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपका एलजीबीटी पेरेंट्स होना बिल्कुल नॉर्मल है। आपके बच्चे की चॉइस और डिसीजन दूसरे बच्चे से अलग हो सकते हैं और इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। हम सबको अलग-अलग चीजें अच्छी लगती हैं। एक घर में पैदा होने के बावजूद भी हम सब अलग होते हैं।

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