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Parenting: जानें आप किस तरह की पेरेंटिंग करते हैं

हर परिवार की पेरेंटिंग अलग हो सकती है। पेरेंट्स की सोच, शिक्षा, और परिवार के माहौल के आधार पर वे अपने बच्चों का पालन करते हैं। यह अलग-अलग समाज, संस्कृति, और परिवार के आधार पर भिन्न हो सकती है।

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Kavya Gupta
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Parenting(FREEPIK)

(Image Source: freepik)

Why Parenting Methods Matters A Lot: पेरेंटिंग में कई अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। कुछ तरीके किसी परिवार के लिए सही तो वही तरीके किसी और के लिए गलत होना संभव हो सकता है। हमे लोगो की पेरेंटिंग को जज नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर परिवार और हर व्यक्ति की परिस्थितियाँ और अनुभव अलग होते हैं। व्यक्ति का विकास उनके जीवनशैली, और परिवारिक माहौल पर निर्भर करता है, जो सभी का एकसा नहीं होता।

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जानें आप किस तरह की पेरेंटिंग करते हैं

1. ऑथॉरिटाटीवे पेरेंटिंग (Authoritative Parenting)

इस प्रकार की पेरेंटिंग में, माता-पिता नियमों और सीमाओं को पहले ही बना लेते हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को अपना पूरा सहयोग और खुली बातचीत करने की आज़ादी भी देते हैं। वे अपने बच्चों की भावनाओं को समझते हैं और उनके विकास को मोटीवेट करने के लिए संबंधों में लगाव दिखाते हैं। इस प्रकार की पेरेंटिंग रिश्तों में स्टेबिलिटी, सेंस्टिविटी, और स्वतंत्रता के मूल्यों को प्रोत्साहित करती है। इस परेंटिंग की विशेषताएं:

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नियमों पहले से तय करना:  माता-पिता नियमों को पहले से ही क्लियर करते हैं, जिससे बच्चे को अपनी सीमाओं का ज्ञान होता है।

पूरा सपोर्ट और खुली बातचीत: उनका अपने बच्चों के साथ खुला संवाद होता है, जिससे समस्याओं का समाधान हो सके और बच्चे की भावनाओं को समझा जा सके।

स्वतंत्रता: इस प्रकार की पेरेंटिंग में, बच्चों को स्वतंत्रता दी जाती है, जिससे वे अपने स्किल्स को समँझे और उनका विकास कर पाएं । 

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व्यवस्थित संबंध: माता-पिता के साथ बच्चों के बीच रिश्तें आर्गनाइज्ड होते हैं, जिससे संबंधों में समझौता हो सके।



2. ऑथॉरिटारिआं पेरेंटिंग (Authoritarian Parenting)

एक प्रकार की पेरेंटिंग है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर कड़ा नियंत्रण रखते हैं और उन्हें बहुत सारे नियमों और निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर करते हैं। इस प्रकार के पेरेंटिंग में, बच्चों को ऑर्डर्स देना, आज़ादी की कमी और बच्चों को बातचीत और सपोर्ट की कमी मिलती है। यह तकनीक आमतौर पर गुस्सा, झिझक और संदिग्ध व्यवहार को प्रोत्साहित करता है। इसका परिणाम होता है कि बच्चे अक्सर डरपोक या असुरक्षित महसूस करते हैं और संबंधों में संकोच रखते हैं। इसकी विशेषताएं: 

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कड़ा नियंत्रण: माता-पिता अपने बच्चों पर कड़ा नियंत्रण रखते हैं और उन्हें कठोर नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करते हैं।

कम सहयोग: इस प्रकार की पेरेंटिंग में, सहयोग और संवाद की कमी होती है, और अक्सर माता-पिता के निर्देशों का अनुपालन के अलावा और कुछ नहीं होता।

निरंतर दख़ल : माता-पिता नियम और अनुशासन के प्रति ध्यान देते हैं और उन्हें अपने नियमों का पालन करने के लिए मज़बूर करते हैं।

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कम स्वतंत्रता: बच्चों को स्वतंत्रता की कमी मिलती है और वे अक्सर अपनेफैसले नहीं ले पातें।

सख्त शिक्षा: अथॉरिटेरियन पेरेंटिंग में शिक्षा समय- समय पर सख्त होती है, और अक्सर बच्चों को दंड और सजा के रूप में दी जाती है।

3. परमिसीवे पेरेंटिंग (Permissive Parenting)

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इस प्रकार की पेरेंटिंग में, नियमों और सीमाओं की कमी होती है और बच्चों के निर्णयों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के साथ दोस्ती जैसा रिश्ता रखना पसंद करते हैं, और बच्चों को खुद के फ़ैसले लेने के लिए पूरी आज़ादी देते हैं। कुछ मुख्य विशेषताएं:

अधिक स्वतंत्रता: माता-पिता अपने बच्चों को अधिक स्वतंत्रता देते हैं और उन्हें अपने निर्णयों के लिए पूरी आज़ादी देते हैं।

नियमों की कमी: इस प्रकार की पेरेंटिंग में, नियमों और सीमाओं की कमी होती है और बच्चों को अधिक स्वतंत्रता दी जाती है।

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मित्रता का माहौल: माता-पिता अपने बच्चों के साथ दोस्ती जैसा रिश्ता रखना पसंद करते हैं और बच्चों को अपने मित्र के रूप में देखते हैं।

बातचीत की कमी: इस प्रकार की पेरेंटिंग में, बातचीत की कमी होती है और माता-पिता अपने बच्चों के साथ ज़्यादा बात नहीं करते हैं।

इस प्रकार का पालन-पोषण कभी-कभी बच्चों को नुकसान पहुँचा सकता है क्योंकि उनमें सीमाओं और मार्गदर्शन का अभाव होता है।

4. अनइन्वोल्वड पेरेंटिंग (Uninvolved Parenting)

इस पेरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चों के विकास में कोई इंटरेस्ट नहीं लेते और उनकी ज़िम्मेदारियों को नहीं निभातें। इस प्रकार के पेरेंटिंग में, माता-पिता अपने बच्चों के साथ बातचीत की कमी रखते हैं, और उनके जीवन में कोई दखलंदाज़ी नहीं करते। कुछ मुख्य विशेषताएं:

इंसेंसिटीव: माता-पिता अपने बच्चों के विकास में जुड़ना नहीं चाहतें और उनकी ज़िम्मेदारियों का पूरा ध्यान नहीं देते हैं।

बातचीत में कमी: इस प्रकार की पेरेंटिंग में, माता-पिता अपने बच्चों के साथ बात नहीं करते और उनके जीवन में दखल नहीं करते।

जिम्मेदारियों का अनदेखा: माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चों के शैक्षिक, सामाजिक, और आर्थिक विकास में सहायता नहीं करते हैं और उनकी ज़रूरतों को पूरा नहीं करते हैं।

सक्रिय संबंधों की कमी: बच्चों को माता-पिता के साथ सक्रिय संबंधों का अभाव होता है जिससे उनका संबंध सम्पूर्ण नहीं हो पाता।

असुरक्षित महसूस करना: इस प्रकार के पेरेंटिंग के तहत बच्चे अकेले, उदास, और असुरक्षित महसूस कर सकते हैं क्योंकि उन्हें माता-पिता का सहयोग और समर्थन नहीं मिलता है।

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