क्या आपने सुना है कि बड़े बुजुर्गों गर्भवती महिलाओं को उनके गर्भावस्था के आखिरी महीनों में घी खाने की सलाह देते हैं। वह इसके पीछे यह कारण देते हैं कि घी खाने योनि चिकनी होती है जिससे शिशु को जन्म देना आसान होता है और घी खाने से नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना ज्यादा होती है। वह ऐसा भी मानते हैं कि महिलाओं का घी खाना गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक विकास करता है। लेकिन क्या यह सब सही है? आइए जानते हैं।
Ayurvedic Ghee For Pregnancy: गर्भावस्था में घी खाने के फायदे?
गर्भावस्था के आखिरी महीने में घी खाने से नॉर्मल डिलीवरी होने के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इस दौरान अगर महिलाएं ज्यादा घी खाती है तो इससे शिशु के शरीर पर एक सफेद परत बन जाती है। इस परत को केसोसा भी कहा जाता है। घी खाने से गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण मिलता है साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। गर्भावस्था के आखिरी महीने में प्रतिदिन घी का सेवन करने से गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक विकास होता है।
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की माने तो एक गर्भवती महिला को दिन में पांच से छह चम्मच की खाना चाहिए। यह घी आप सब्जी में मिलाकर, दूध में मिलाकर, हलवे में मिलाकर या फिर लड्डू में मिलाकर कई तरीकों से खा सकते हैं।
गर्भावस्था में घी खाने के नुकसान?
गर्भावस्था के दौरान अगर एक महिला ज्यादा घी का प्रयोग करती है तो यह उसकी सेहत के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। गर्भावस्था के आखिरी महीनों में ज्यादा घी का प्रयोग करने से महिलाओं के शरीर को अधिक मात्रा में कैलोरी मिलती है। इस कारण शिशु को जन्म देने के बाद वजन घटने में ज्यादा दिक्कत आती है। बहुत बार ज्यादा घी खाने से महिलाओं को उल्टी, कब्ज या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं और इस कारण महिलाओं के शरीर में थकान और कमजोरी हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान घी खाना अच्छा माना जाता है लेकिन इसकी तय मात्रा होनी चाहिए। कुछ महिलाओं को आखिरी महीनों में घी का सेवन करने से अगर एलर्जी जैसी दिक्कतें होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।