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क्या Thalassemia से पीड़ित महिलाएं भी बन सकती हैं मां?

हैल्थ: यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है। इससे पीड़ित व्यक्ति में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। जिससे ब्लड में आरबीसी कम बनने लगता है और पीड़ित व्यक्ति को एनीमिया हो जाता है।

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Ruma Singh
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pregnant Women (Unsplash)

( Credit Image- File Image)

Can Women Suffering From Thalassemia Become Mothers: मां बनना हर महिला के जीवन का एक सुखमय पल होता है। जिसकी ख्वाहिश हर महिला को होती है, लेकिन आजकल कई तरह की समस्याओं के कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन एक गंभीर समस्या थैलेसीमिया भी है। जिस कारण एक महिला को मां बनने तक की प्रक्रिया में अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता हैं, क्योंकि उनमें यह बीमारी आनुवांशिक तौर पर रहती है जो कि शरीर की स्वस्थ हीमोग्लोबिन बनाने की क्षमता को प्रभावित कर देती है। ऐसे में इन महिलाओं को गर्भधारण करना काफी मुश्किल हो जाता है।

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क्या है थैलेसीमिया?

आमतौर पर यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती है। इससे पीड़ित व्यक्ति में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। जिससे ब्लड में आरबीसी कम बनने लगता है और पीड़ित व्यक्ति को एनीमिया हो जाता है। हालांकि थैलेसीमिया दो तरह के होते हैं- एक माइनर, दूसरा मेजर। माइनर उतनी गंभीर नहीं होती, जिसमें मां बनने की उम्मीद रहती है, लेकिन मेजर में चांसेस काफी कम हो जाते हैं। ऐसे में अगर माता-पिता दोनों में से कोई एक थैलेसीमिया से ग्रसित है, तो होने वाले बच्चे में माइनर थैलेसीमिया होता है लेकिन दोनों इससे पीड़ित हो तब बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होने की आशंका रहती है।

क्या थैलेसीमिया से पीड़ित महिलाएं मां बन सकती हैं?

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इस दौरान मां बनना निर्भर करता है कि आप किस तरह की थैलेसीमिया से पीड़ित है? यदि आप बीटा थैलेसीमिया यानी मेजर से पीड़ित है तो उस दौरान आपको बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत होती है। ऐसे में आपके शरीर में आयरन की अधिकता हो जाती है। जिससे आपका रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन कुछ इस तरह के थैलेसीमिया भी होते हैं। जिससे प्रजनन क्षमता पर उतना प्रभाव नहीं पड़ता।

थैलेसीमिया में बच्चे पैदा करने के विकल्प?

1. प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD) 

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यह एक ऐसा एडवांस मेथड है, जिसका उपयोग आईवीएफ के साथ किया जाता है। इसमें केवल थैलसीमिया के बिना भ्रूण ही प्रत्यारोपण के लिए चुने जाते हैं। जिससे बच्चों को विकार देने का जोखिम कम हो जाता है। ऐसे में यह थैलेसीमिया के संचरण को रोकने के साथ-साथ गर्भावस्था की संभावना को भी सुधार करता है।

2. एग फ्रीजिंग

यदि कम उम्र में आपको थैलेसीमिया से पीड़ित होने का पता चल गया हो तो आप भविष्य में गर्भधारण करने के लिए अपने एग को फ्रिज करवा सकती हैं। यह तकनीक आयरन केलेशन थेरेपी शुरू करने से पहले ही उपयोगी होते हैं।

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3. हार्मोनल उपचार

थैलेसीमिया से पीड़ित महिलाओं को यौवन और हाइपोगोनाडिज्म का इलाज करने के लिए हार्मोनल थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे हार्मोनल लेवल को बैलेंस करके प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का काम किया जाता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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