5 Rights For Women At Workplace After Pregnancy: महिलाओं के लिए सबसे मनमोहक पल वो है जब वो एक नन्ही सी जान को इस दुनिया में लाती हैं। वही नन्हीं सी जान उस मां के दिल का सुकून बन जाता है। मां का हंसना–रोना, सुख–दुःख सब उसके बच्चे से जुड़ा होता है। ऐसे में वो भूल जाती है कि बाहर भी एक दुनिया है। वो दुनिया जो शायद उससे उसका अधिकर नही दे रही। गर्भधारण के बाद जब महिलाएं अपने कार्यस्थल पर वापस जाती हैं तो उन्हें कभी-कभी कुछ दिक्कतें सहनी पड़ती हैं क्योंकि वे अपने अधिकारों से परे रहती है। आइये आज उन्ही अधिकारों पर हम चर्चा करते हैं।
गर्भधारण के बाद कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए 5 आवश्यक अधिकार
1. मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश)
सभी कार्य स्थलों पर मैटरनिटी लीव की सुविधा मिलती है। अपेक्षित डिलीवरी तारीख से पहले गर्भवती महिला कर्मचारियों को 80 दिन काम करना आवश्यक है। गर्भवती महिला या सरोगेट मदर या फिर वह महिला जो एडॉप्शन के लिए सोच रही हैं उन्हें भी मैटरनिटी लीव की सुविधा प्रदान की जाती है।
2. वर्क फ्रॉम होम
मैटरनिटी लीव के बाद दूसरा महत्वपूर्ण अधिकार महिलाओं के पास यह होता है कि अगर उनकी प्रेगनेंसी में कोई कॉम्प्लिकेशन हो या उनके बच्चों को देखभाल की जरूरत हो तो वह वर्क फ्रॉम होम का विकल्प भी चुन सकती हैं इससे उनके वेतन में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
3. स्तनपान की सुविधा
अगर महिलाएं स्तनपान कराना चाहती हैं तो वह कानूनी रूप से उसे ऑर्गेनाइजेशन से अपील कर सकती हैं कि वह स्तनपान के लिए उसे एक सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाएं।
4. जॉब की सुरक्षा
प्रेगनेंसी के दौरान या प्रेगनेंसी के बाद कंपनी को कोई अधिकार नहीं होता है कि वह उस महिला को काम से निकालें। कंपनी ऐसी महिलाओं की नियुक्ति रिजेक्ट नहीं कर सकती जो कि गर्भावस्था के पड़ाव में हो। यह भेदभाव बिल्कुल भी सही नहीं।
5. फाइनेंशियल मदद
ऐसी महिलाएं जिन्हें बच्चों के देखभाल के लिए पैसों की जरूरत होती है तो कंपनी को उन्हें फाइनेंसियल बेनिफिट देना अनिवार्य है। चाहे वह उनकी दवाइयों के लिए हो या फिर उनके पालन-पोषण के लिए।
सूचना: इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक स्नेहा यादव का है।