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Photograph: (freepik)
कैंसर सुनते ही आता है मन में डर और चिंता। महिलाओं को सबसे ज्यादा असर करने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैंसर है, फिर भी महिलाएं इसे लेकर जागरूक नहीं हैं। लेकिन क्यों? इसका कारण है समाज में बीमारी और कैंसर के लिए डर और संवेदनहीनता। महिलाएं अक्सर सामाजिक अलगाव और सपोर्ट न मिलने के कारण इसे नकारती रहती हैं। जब कैंसर के आंकड़े देखे जाते हैं, तो महिलाएं सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर से 26.3% ही नहीं, सर्विक्स कैंसर से भी 18.3% और ओवरी कैंसर से 6.7% प्रभावित हैं। लेकिन कभी सोचा है कि महिलाओं को यह सबसे अधिक क्यों प्रभावित करते हैं? और समाज में इसके लिए जागरूकता क्यों नहीं है?
Cancer Awareness Day: महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित, लेकिन सबसे कम जागरूक क्यों?"
क्यों किया गया 7 नवंबर का दिन कैंसर जागरूकता के लिए?
2014 से यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड पब्लिक वेलफेयर ने 7 नवंबर को नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे को शुरू किया। भारत में पुरुष ओरल कैंसर से और महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ग्लोबल कैंसर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर सभी कैंसर में 26.3% है, जो भारत में होने वाले सभी कैंसर में महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला और पहला कैंसर है।
प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो 2022 के अनुसार 1.46 मिलियन नए केस कैंसर के भारत में आए और क्रूड इंसीडेंट रेट 100.4 प्रति 100,000 है। इसका मतलब 9 में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कैंसर से प्रभावित होने की संभावना रखता है।
🎗जागरूकता और नियमित स्क्रीनिंग है कैंसर के खिलाफ लड़ने में सबसे बड़ा हथियार!
— NHM UP (@nhm_up) November 7, 2025
इस राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और नियमित जांच का लें संकल्प।🩺
Cancer Awareness Campaign | Early Detection of Cancer | Regular Cancer Screening | Cancer Prevention Tips… pic.twitter.com/81Z9AQfD5K
क्या है महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लिए अवेयरनेस न होने का कारण?
भारत में कैंसर एक सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक दबाव भी है। भारत में कैंसर का पता ज्यादातर लास्ट स्टेज पर ही चलता है। ऐसे में इसका इलाज या तो बहुत मुश्किल होता है या होता ही नहीं है। जब महिलाओं की बात आती है, तो भारत में महिलाओं को लेकर इतना जागरूकता नहीं है। जहां पीरियड्स जैसे विषय पर ही इतने टैबू हैं, तो बताइए -ब्रेस्ट जिसे महिला का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है, उस पर बात वो भी कैसे?
जब महिलाएं इसके लक्षण नोटिस करती हैं, तो वे डर और शर्म के कारण बताती नहीं हैं। अक्सर महिलाएं अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं। महिलाओं में प्राइवेट पार्ट और हार्मोनल बदलाव के लिए उतनी जागरूकता नहीं है, जितनी जरूरी है। भारत में ग्रामीण महिला जब भी जांच के लिए जाए भी, तो पूरी जांच नहीं करवाती हैं। भारत में महिलाओं की सेहत को आज भी नजरअंदाज किया जाता है, विशेषकर जब बात ब्रेस्ट, वजाइना और गर्भाशय की हो।
क्या है इस वर्ष अलग, जो बनाता है सबको जिम्मेदार?
भारत में हर वर्ष कैंसर डे को सबके लिए जरूरी बनाने और अवेयरनेस फैलाने के लिए थीम बनाई जाती है। इस बार की थीम वर्ल्ड कैंसर डे की थीम "United by Unique" है, जो 2025 से 2027 तक है। हर व्यक्ति की कैंसर के लिए यात्रा यूनीक होती है। और women चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी हर महिला की यात्रा सबसे कठिन और संघर्ष भरी होती है। समाज से लड़ने से लेकर उसे हर वो सोच से लड़ना आसान नहीं होता। लेकिन हर महिला करती है और इस कैंसर अवेयरनेस डे पर खुद को जागरूक करने के साथ-साथ समाज को भी जागरूक करें।
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