Diseases after pregnancy: गर्भावस्था और प्रसव एक महिला के जीवन के सबसे अद्भुत लेकिन चुनौतीपूर्ण चरण होते हैं। प्रसव के बाद का समय, जिसे पोस्टपार्टम या प्रसवोत्तर अवधि कहा जाता है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान शरीर को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है, लेकिन कुछ महिलाएं इस समय में बीमारियों और जटिलताओं का सामना करती हैं।
गर्भावस्था के बाद होने वाली बीमारियां
1. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद)
प्रसव के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। कई महिलाओं को "बेबी ब्लूज़" का अनुभव होता है, जिसमें हल्की उदासी होती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह गंभीर पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इसके लक्षणों में अत्यधिक थकान, उदासी, चिड़चिड़ापन, और बच्चे की देखभाल में असमर्थता शामिल है। यह स्थिति उचित परामर्श और चिकित्सा सहायता से ठीक हो सकती है।
2. योनि संक्रमण और घाव का धीमा ठीक होना
यदि डिलीवरी के दौरान सर्जरी (सी-सेक्शन) या एपिसियोटोमी की गई हो, तो घाव में संक्रमण का खतरा होता है। इसके लक्षणों में सूजन, लालिमा, दर्द और बुखार शामिल हैं। उचित सफाई और एंटीबायोटिक्स से इसे रोका और ठीक किया जा सकता है।
3. मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई)
डिलीवरी के बाद मूत्राशय और मूत्र मार्ग पर दबाव के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब आना और बुखार शामिल हैं। इसे रोकने के लिए हाइजीन का ध्यान रखना और तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लेना जरूरी है।
4. थायरॉयड संबंधी समस्याएं
गर्भावस्था के बाद कुछ महिलाओं में पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस हो सकता है। यह थायरॉयड ग्रंथि की सूजन है, जिससे हार्मोन असंतुलन होता है। इसके लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना या घटना, बालों का झड़ना और हृदय गति का तेज या धीमा होना शामिल है। इसे पहचानने और समय पर इलाज कराने से स्थिति नियंत्रित की जा सकती है।
5. खून की कमी (एनीमिया)
प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होने पर खून की कमी हो सकती है। इसके लक्षणों में कमजोरी, चक्कर आना और थकान शामिल हैं। आयरन युक्त आहार और डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट्स लेने से यह समस्या दूर हो सकती है।