How Does PCOD Affect Pregnancy?: PCOD या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज महिलाओं के रिप्रोडेक्टिव एज में होने वाली समस्या है। यह समस्या हार्मोनाल समस्या है। PCOD की समस्या महिलाओं में उनके ओवरसीज में छोटे सिस्ट हो जाने के कारण होती है जिसकी वजह से हारमोंस का असंतुलन, अनियमित पीरियड्स और गर्भधारण में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह केवल हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर ही असर नहीं डालता बल्कि और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बनता है। यह एक ऐसी समस्या है जिससे हमें इग्नोर बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि आगे जाकर यह महिलाओं के गर्भधारण के समय बहुत सारी कठिनाइयां ला सकता है। PCOD और गर्भावस्था का संबंध महिलाओं के लिए बहुत चिंता भरा होता है। इसलिए हमे यह जाना बहुत जरुरी है कि PCOD गर्भावस्था के समय कैसे प्रभाव डालता है। तो चलिए जानते हैं PCOD से प्रेग्नेंसी पर क्या प्रभाव पड़ता है।
PCOD का गर्भावस्था पर 5 प्रभाव
1. गर्भधारण में कठिनाई
PCOD के कारण महिलाओं के ओवरी ने सिस्ट बनने शुरू हो जाते है जिसकी वजह से ओव्यूलेशन नही हो पाता। इसकी वजह से ओवरी की गुणवत्ता कम हो जाती है। जिसकी वजह से कंसीव करने में मुश्किल हो सकती हैं। और कभी–कभी प्रेंग्नेंट महिलाओं को गर्भपात का खतरा होता है।
2. गर्भावस्था के दौरान जोखिम
PCOD से जुझ रही महिला गर्भावस्था के दौरान विभिन्न परेशानियों का सामना करती है जैसे की मिसकैरेज और समय से पहले जन्म होने का खतरा बना रहता है। अक्सर महिआलो को ब्लड प्रेशर की दिक्कत भी बनी रहती है। इन समस्याओं के कारण बच्चे और मां दोनो पे निगेटिव प्रभाव पड़ता है। पूरे प्रेग्नेंसी के समय मां को डॉक्टर की निगरानी में रहना चाहिए।
3. शिशु पर प्रभाव
PCOD के कारण महिलाओं के शिशु पे भी प्रभाव पड़ता है। PCOD की महिलाओं को सही आहार नही मिल पाता जिसकी वजह से बच्चों में पोषण की कमी हो जाती है और हार्मोन असंतुलन की वजह से शिशु का विकाश नही हो पाता है। ऐसे बच्चों में मेटाबॉलिजम और इंसुलिन की प्रोब्लम हो सकती है।
4. गर्भधारण के बाद PCOD का प्रबंधन
गर्भावस्था के समय PCOD को नियंत्रण में करना बहुत जरूरी है इसके लिए स्वस्थ आहार और व्यायाम करना अच्छा उपचार है। यह वजन को मेंटेन करने का काम करता है साथ ही प्रेग्नेंसी में आने वाले दिक्कत को कम भी करता है। गर्भावस्था में महिलाओं को प्रॉपर टाइम पर हेल्थ टेस्ट करवाना चाहिए। डॉक्टर के निगरानी में रहना बहुत आवश्यक है।
5. गर्भधारण के बाद की सावधानियां
बच्चे की डिलेवरी के बाद PCOD को संतुलित करना बहुत महत्त्वपूर्ण है। अक्सर ऐसा होता है कि जन्म देने के बाद कुछ महिलाओं में PCOD के लक्षण कम हो जाते है और कुछ में इसके लक्षण बड़ जाते है। इसके प्रभावों को कम करना चाहिए और अपने सेहत पर पूरा ध्यान देना चाहिए। PCOD के कारण डिलीवरी के बाद महिलाओं के वजन में वृद्धि हो जाती है। उसको कंट्रोल करना जरूरी है।