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Metabolism & Women:मेटाबॉलिज्म यानी शरीर की वह प्रक्रिया जिससे हमारा शरीर खाने को ऊर्जा में बदलता है। यह सिर्फ कैलोरी बर्न करने से जुड़ा नहीं है बल्कि हार्मोनल बैलेंस, पाचन तंत्र, स्किन हेल्थ और ओवरऑल वेलनेस पर भी असर डालता है। खासतौर पर महिलाओं का मेटाबॉलिज्म उम्र के साथ कई बदलावों से गुजरता है जो युवा अवस्था, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज़ और बुज़ुर्गावस्था में अलग-अलग तरह से प्रभावित होता है।
आइए जानते हैं कि महिलाओं का मेटाबॉलिज्म उम्र के साथ कैसे बदलता है और इसे हेल्दी बनाए रखने के लिए क्या किया जा सकता है।
Metabolism & Women:महिलाओं का मेटाबॉलिज्म उम्र के साथ कैसे बदलता है?
10s-20s: यंग एज में मेटाबॉलिज्म कैसा होता है?
कैसे काम करता है?
- 10-20 साल की उम्र में मेटाबॉलिज्म अपने पीक पर होता है।
- इस उम्र में शरीर तेजी से कैलोरी बर्न करता है क्योंकि ग्रोथ हार्मोन एक्टिव रहते हैं।
- बॉडी की मसल्स मास ज्यादा होती है जिससे मेटाबॉलिज्म हाई रहता है।
- अगर फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा हो तो वजन जल्दी नहीं बढ़ता और कैलोरीज़ जल्दी बर्न होती हैं।
क्या करें?
- प्रोटीन-रिच डायट लें ताकि मसल्स स्ट्रॉन्ग रहें।
- एक्सरसाइज़ को आदत बनाएं ,कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों करें।
- प्रोसेस्ड फूड से बचें क्योंकि यह इंसुलिन लेवल को असंतुलित कर सकता है।
30s: मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ना शुरू होता है
कैसे बदलता है?
- 30 के बाद मसल्स मास धीरे-धीरे कम होने लगता है जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने लगता है।
- अगर लाइफस्टाइल सेडेंटरी हो गई हो तो वजन तेजी से बढ़ने लगता है।
- हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं खासकर अगर प्रेग्नेंसी होती है तो मेटाबॉलिज्म में उतार-चढ़ाव आता है।
क्या करें?
- मसल्स लॉस से बचने के लिए वेट ट्रेनिंग करें।
- प्रोसेस्ड शुगर और हाई-कैलोरी डाइट को कम करें।
- हाइड्रेशन मेंटेन रखें ,पानी और हर्बल टी पिएं।
- स्ट्रेस कम करें क्योंकि कॉर्टिसोल हार्मोन मेटाबॉलिज्म को स्लो कर सकता है।
40s: मेटाबॉलिज्म और ज्यादा स्लो होने लगता है
कैसे बदलता है?
- इस उम्र में शरीर 30% तक धीमा मेटाबॉलिज्म कर सकता है।
- प्रीमेनोपॉज़ (Menopause से पहले का समय) शुरू होने लगता है जिससे हार्मोनल इम्बैलेंस बढ़ता है।
- इस समय इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो सकती है जिससे वजन जल्दी बढ़ता है।
- हड्डियों और मसल्स का लॉस होने लगता है जिससे एनर्जी बर्न कम होती है।
क्या करें?
- फाइबर-रिच डाइट अपनाएं ताकि डाइजेशन बेहतर हो और मेटाबॉलिज्म बना रहे।
- हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) या योग करें।
- पर्याप्त प्रोटीन और कैल्शियम लें ताकि हड्डियों और मसल्स को मजबूत रखा जा सके।
- ग्रीन टी या एप्पल साइडर विनेगर मेटाबॉलिज्म बूस्ट कर सकता है।
50s और उससे आगे: मेटाबॉलिज्म में सबसे बड़ा बदलाव
कैसे बदलता है?
- मेनोपॉज़ के बाद मेटाबॉलिज्म सबसे ज्यादा स्लो हो जाता है।
- शरीर कम एनर्जी बर्न करता है और पेट, कमर और जांघों में फैट तेजी से जमा होने लगता है।
- एस्ट्रोजन लेवल गिरने के कारण वजन बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
- हड्डियां और मसल्स कमजोर होने लगती हैं जिससे शरीर सुस्त महसूस कर सकता है।
क्या करें?
- हल्की लेकिन रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी करें जैसे वॉकिंग, योग, डांसिंग।
- हेल्दी फैट्स (नट्स, बीज, एवोकाडो, ऑलिव ऑयल) डाइट में शामिल करें।
- प्रोबायोटिक्स और फाइबर-रिच फूड्स खाएं ताकि डाइजेशन हेल्दी रहे।
- विटामिन D और कैल्शियम जरूरी है ताकि हड्डियों की कमजोरी को रोका जा सके |
मेटाबॉलिज्म उम्र के साथ धीमा होता है लेकिन सही लाइफस्टाइल, डाइट और एक्सरसाइज से इसे बेहतर बनाए रखा जा सकता है। महिलाओं को अपने शरीर को समझकर उसके अनुसार सही बदलाव करने की जरूरत होती है ताकि वे किसी भी उम्र में हेल्दी और फिट बनी रह सकें |