Women's Health: प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) को कैसे संभालें? महिलाओं के लिए जरूरी टिप्स

प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षणों से परेशान हैं? जानें कैसे सही डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल बदलाव से मूड स्विंग्स, थकान और दर्द को कम किया जा सकता है।

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Vaishali Garg
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महिलाओं के लिए हर महीने पीरियड्स से पहले का समय शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसे प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है, जो हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं को मूड स्विंग्स, सिरदर्द, पेट में दर्द, थकान, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह समस्या हर महिला को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है, लेकिन इसे सही देखभाल और लाइफस्टाइल में बदलाव से काफी हद तक संभाला जा सकता है।

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Women's Health: प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) को कैसे संभालें? महिलाओं के लिए जरूरी टिप्स

PMS के लक्षण और उनके कारण

PMS के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को केवल हल्की बेचैनी महसूस होती है, जबकि कुछ को डिप्रेशन (Depression) और एंग्जायटी (Anxiety) जैसी मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, खासकर एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) में बदलाव।

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इन हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर्स (Neurotransmitters), जैसे सेरोटोनिन (Serotonin), प्रभावित होते हैं, जिससे मूड स्विंग्स और इमोशनल इम्बैलेंस (Emotional Imbalance) की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, खराब डाइट, स्ट्रेस (Stress), और नींद की कमी भी PMS को बढ़ा सकते हैं।

PMS के दौरान खानपान का ध्यान रखना क्यों जरूरी है?

सही खानपान से PMS के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। हेल्दी डाइट शरीर के हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करती है और थकान व चिड़चिड़ापन को कम करती है। प्रोसेस्ड फूड (Processed Food), कैफीन (Caffeine) और ज्यादा नमक वाले खाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये शरीर में वाटर रिटेंशन (Water Retention) बढ़ाकर सूजन और ऐंठन को बढ़ा सकते हैं।

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पीरियड्स से पहले अपने भोजन में जिंक (Zinc), मैग्नीशियम (Magnesium) और विटामिन B6 (Vitamin B6) से भरपूर चीज़ें शामिल करें। साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे और दही जैसी चीज़ें खाने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे शरीर और दिमाग शांत रहता है।

एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी से PMS को कैसे कम किया जा सकता है?

शारीरिक गतिविधि हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। हल्की एक्सरसाइज, योग (Yoga) और मेडिटेशन (Meditation) न सिर्फ तनाव कम करने में सहायक होते हैं, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करके मांसपेशियों के दर्द को भी कम करते हैं।

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ऐसे में रोजाना 30 मिनट की ब्रिस्क वॉक (Brisk Walk), स्ट्रेचिंग (Stretching) या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Deep Breathing Exercises) करने से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है। एक्सरसाइज से एंडॉर्फिन (Endorphins) नामक ‘फील गुड’ हार्मोन रिलीज होता है, जो मूड को बेहतर बनाता है और थकान को कम करता है।

PMS के दौरान मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें?

PMS केवल शारीरिक परेशानी ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी काफी प्रभाव डाल सकता है। मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress Management) बेहद जरूरी है।

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नींद पूरी न होने से PMS के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है। इसके अलावा, रिलैक्सिंग एक्टिविटीज़ जैसे किताबें पढ़ना, संगीत सुनना, गर्म पानी से नहाना और आरामदायक माहौल में समय बिताना मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है।

क्या मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है?

अगर PMS के लक्षण बहुत ज्यादा गंभीर हो जाते हैं और आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। कई बार डॉक्टर हार्मोनल थेरेपी (Hormonal Therapy) या सप्लीमेंट्स (Supplements) की सलाह दे सकते हैं, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी पूरी हो सके।

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कुछ मामलों में एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants) या पेन रिलीफ मेडिकेशन (Pain Relief Medication) की भी जरूरत पड़ सकती है, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।

PMS को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन इसे सही लाइफस्टाइल और सेल्फ-केयर से काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद और मानसिक शांति बनाए रखने से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। अगर लक्षण बहुत ज्यादा गंभीर हो रहे हैं, तो मेडिकल हेल्प लेना सबसे सही निर्णय होगा। महिलाएं अपने शरीर की जरूरतों को समझें और अपने स्वास्थ्य का सही तरह से ध्यान रखें, ताकि हर महीने PMS से होने वाली दिक्कतों को आसानी से संभाला जा सके।

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