Second Pregnancy: दूसरी प्रेग्नेंसी पहली से कितनी अलग होती है?

दूसरी प्रेग्नेंसी पहली से कितनी अलग होती है? जानिए शारीरिक और मानसिक अंतर, डिलीवरी का अनुभव, और पहले बच्चे की जिम्मेदारी के बीच माँ कैसे खुद का ख्याल रख सकती है।

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Vaishali Garg
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Motherhood

जब कोई महिला दूसरी बार माँ बनने की यात्रा पर निकलती है, तो वह अनुभव पहले से कहीं अधिक भावनात्मक, जटिल और कभी-कभी सहज भी हो सकता है। बहुत-सी महिलाएं सोचती हैं कि पहली प्रेग्नेंसी का अनुभव होने की वजह से दूसरी बार सब कुछ आसान हो जाएगा, लेकिन हकीकत थोड़ी अलग होती है।

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हर गर्भावस्था अपने आप में एक अनोखा अनुभव होती है। पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी के बीच शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कई अंतर महसूस हो सकते हैं।

Second Pregnancy: दूसरी प्रेग्नेंसी पहली से कितनी अलग होती है?

शरीर की प्रतिक्रिया: पहचान में फर्क महसूस होता है

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दूसरी प्रेग्नेंसी में अक्सर शरीर पहले की तुलना में तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है। पेट जल्दी दिखने लगता है क्योंकि पेट की मांसपेशियां पहले की तरह टाइट नहीं रहतीं। शरीर को पहले ही पता होता है कि उसे कैसे बदलना है, इसलिए कुछ लक्षण जल्दी महसूस होने लगते हैं जैसे थकान, पीठ दर्द या मूड स्विंग्स।

हालांकि कुछ महिलाएं दूसरी बार में पहले से ज्यादा सहज महसूस करती हैं, तो कुछ को अधिक थकान या बेचैनी भी हो सकती है—खासकर अगर पहली प्रेग्नेंसी के बाद शरीर पूरी तरह से रिकवर नहीं हुआ हो।

मानसिक स्थिति: कम डर लेकिन ज़्यादा ज़िम्मेदारी

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पहली बार मां बनने पर जो डर, चिंता और अनिश्चितता रहती है, वो दूसरी बार थोड़ी कम हो जाती है। माँ को अब पता होता है कि अल्ट्रासाउंड कैसा होता है, डिलीवरी कैसी होती है और नवजात शिशु की देखभाल कैसे करनी है।

लेकिन दूसरी प्रेग्नेंसी में एक और बड़ी जिम्मेदारी साथ होती है पहले बच्चे की। अब आपको अपनी देखभाल के साथ-साथ पहले बच्चे की ज़रूरतों और दिनचर्या का भी ख्याल रखना होता है। कई बार ये मानसिक थकावट बढ़ा देता है और माँ को खुद के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है।

प्रेग्नेंसी के लक्षण: कुछ पुराने, कुछ नए

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कई बार दूसरी प्रेग्नेंसी में पहले जैसे ही लक्षण महसूस होते हैं, लेकिन उनकी तीव्रता अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, पहली बार अगर मिचली ज्यादा होती थी, तो दूसरी बार यह कम हो सकती है या इसका ठीक उल्टा भी हो सकता है।

कुछ महिलाओं को दूसरी बार में प्रेग्नेंसी डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसे जोखिम भी हो सकते हैं, खासकर अगर दो प्रेग्नेंसी के बीच अंतर कम है या उम्र बढ़ चुकी हो।

डिलीवरी: क्या दूसरी बार आसान होती है?

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कहते हैं दूसरी डिलीवरी अक्सर जल्दी और आसान होती है, क्योंकि शरीर पहले से उस प्रक्रिया से गुज़र चुका होता है। सर्विक्स जल्दी खुलता है, लेबर पेन कम समय तक रहता है और रिकवरी भी तेज़ हो सकती है।

हालांकि यह हर महिला के लिए सच नहीं होता। कुछ महिलाओं को दूसरी बार ज्यादा कठिनाई होती है अगर पहले सी-सेक्शन हुआ हो या शरीर में कोई नई मेडिकल समस्या हो।

पहले बच्चे को कैसे तैयार करें?

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दूसरी प्रेग्नेंसी का सबसे भावुक पहलू होता है पहले बच्चे को नए मेहमान के लिए मानसिक रूप से तैयार करना। बच्चे को जलन, उपेक्षा या असुरक्षा महसूस न हो, इसके लिए आपको उसके साथ बातचीत करनी होगी, उसे शामिल करना होगा, और यह भरोसा दिलाना होगा कि वह अब भी उतना ही खास है।

खुद का ध्यान रखना और मदद लेना है ज़रूरी

दूसरी प्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाएं अपने लिए कम समय निकालती हैं। घर, काम और बच्चों के बीच वे खुद की देखभाल को पीछे कर देती हैं। लेकिन यह सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है।

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अपनों से मदद लें, डॉक्टर के सारे अपॉइंटमेंट समय पर करें, और अगर ज़रूरत हो तो प्रोफेशनल हेल्प लेने से न हिचकें। एक खुश और स्वस्थ माँ ही अपने बच्चों को बेहतर देखभाल दे सकती है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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