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Viruses During Pregnancy: प्रेगनेंसी के दौरान इन वायरस से बचाव है जरूरी

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को विशेष सतर्कता और देखभाल की आवश्यकता होती है, क्योंकि कुछ वायरस और बैक्टीरिया मां और शिशु के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। आइए जानें की प्रेगनेंसी के दौरान कौन से वायरस से बचाव जरूरी है।

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Niharikaa Sharma
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PROTECT YOURSELF FROM THESE VIRUSES DURING PREGNANCY

Image Credit- Freepik

Protect Yourself From These Viruses During Pregnancy: विश्वभर में कई ऐसे गंभीर वायरस और बैक्टीरिया हैं जो सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए खतरनाक नहीं होते, लेकिन प्रेगनेंट महिलाओं में इनका असर मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर हो सकता है। प्रेगनेंसी में डिलीवरी से पहले नियमित चेकअप करवाना जरूरी होता है। यह सुनिश्चित करता है कि संभावित स्वास्थ्य (Potential Health) समस्याओं और इन्फेक्शन का पता चले, जिससे मां और शिशु को सही देखभाल मिल सके। कुछ गंभीर इन्फेक्शन जैसे हर्पीस (Herpes) के मामले में डिलीवरी प्रोसेस में बदलाव किया जा सकता है। आइए जानें की प्रेगनेंसी के दौरान कौन से वायरस से बचाव जरूरी है।

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प्रेगनेंसी के दौरान इन वायरस से बचाव है जरूरी

जीका वायरस (Zika virus)

जब गर्भवती महिला इस वायरस के संपर्क में आती हैं, तो उन्हें हल्का बुखार, त्वचा पर निशान, आंखों में गुलाबीपन और जोड़ों में दर्द के लक्षण दिखाई देते हैं। जीका वायरस से प्रभावित बच्चों का सिर जन्म के समय छोटा होता है या उनका दिमाग पूरी तरह से बढ़ नहीं पाता। जीका वायरस की पहचान केवल जेनेटिक टेस्टिंग से होती है। यह लक्षण कभी-कभी विकास प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से प्रकट नहीं होते। जीका वायरस खून में एक सप्ताह तक रहता है और इस अवधि के बीच जाँच में यह पता चलता है। हालांकि, एक बार वायरस खत्म होने के बाद, महिलाओं को किसी भी तरह का खतरा नहीं होता है, परंतु फिर भी उनके संपर्क में दोबारा आने की संभावना होती है।

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रुबेला वायरस (Rubella Virus)

जर्मन मीजल्स या रुबेला खांसी और छींक के माध्यम से तेजी से फैलता है। हेल्दी व्यक्तियों में इसके लक्षण मामूली बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द और खराश की तरह दिखाई देते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं में यह इंफेक्शन युटेरस के अवयवों को प्रभावित करके प्रेगनेंसी को खतरे में डाल सकता है। एमएमआर (मीजल्स, मम्प्स, रुबेला) टीके से इस इंफेक्शन से बचाव संभव है। हालांकि भारतीय सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम में यह टीका शामिल नहीं है, कुछ राज्यों के कार्यक्रमों में इसका उपयोग किया जा रहा है। भारत में 20 से अधिक उम्र की कई महिलाओं को यह टीका अभी तक नहीं लगाया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रेगनेंसी में कम से कम एक महीने पहले इस टीके को लगवाना सही है। इस वायरस में एक लिवर वायरस भी होता है, जिससे बच्चे को रुबेला इंफेक्शन हो सकता है।

ग्रुप बी स्ट्रेप (Group B Strep)

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ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया सामान्यतः किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन प्रेगनेंट महिला और नवजात शिशु को यह इंफेक्शन देने की संभावना है। मां से यह इंफेक्शन नवजात शिशु को प्रभावित कर सकता है। 35 से 37 सप्ताह के प्रेगनेंसी में मां को ये टेस्ट करवाना चाहिए। एंटीबायोटिक्स के साथ इसका उपचार किया जा सकता है, जो बच्चे को इंफेक्टेड होने से बचा सकता है।

साइटोमेगालो वायरस (Cytomegalo Virus)

हेल्दी व्यक्तियों में इससे कोई नुकसान नहीं होता, यह शरीर में लाइफ टाइम इनैक्टिव रह सकता है। लेकिन नवजात शिशुओं और गर्भ में पल रहे शिशु की सुनने की क्षमता पर इसका असर हो सकता है। यह खतरा ज्यादा होता है जब प्रेगनेंसी के दौरान यह इंफेक्शन एक्टिव हो जाता है। इंफेक्टेड बच्चा जन्म के समय हेल्दी ही लगता है, लेकिन कुछ में बड़े होने के साथ सुनने की क्षमता पर असर देखने को मिलता है। यह इंफेक्शन थूक, पेशाब, खून और सीमेन आदि फ्लूइड के माध्यम से फैलता है। प्रेगनेंट महिलाओं में यह इंफेक्शन सेक्स के दौरान या बच्चों के खून और पेशाब से फैल सकता है।

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लिस्टिरिओसिज़ (Listeriosis)

प्रेगनेंट महिलाओं में इस बैक्टीरिया से प्रभावित होने की संभावना ज्यादातर 10% होती है। उनमें हल्की थकावट और दर्द के लक्षण पाए जा सकते हैं। इससे मिसकैरेज, बच्चे के विकास में रुकावट या समय से पहले जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है और जन्म के समय बच्चे में कई प्रकार के इंफेक्शन से प्रभावित होने की संभावना रहती है। लिस्टेरियोसिस इन्फेक्शन का कारण दूषित भोजन (Contaminated Food), गैर पाशुराजित (Non Pasteurized) किया हुआ दूध, पनीर, कच्चा मांस और मछली हो सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को गैर पाशुराजित (Non Pasteurized) किया हुआ दूध, बिना पके डेयरी प्रोडक्ट और सीफूड से बचना चाहिए। इंफेक्टेड बच्चे के उपचार के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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