Men and Their Stress: युवावस्था जीवन का वह दौर है जब व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरता है। यह समय नए अवसरों और चुनौतियों से भरा होता है, और खासकर लड़कों के लिए, यह एक ऐसा चरण होता है जब उन्हें अपने जीवन की दिशा तय करने के साथ-साथ सामाजिक और व्यक्तिगत अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में, उन्हें कई प्रकार के मानसिक तनाव का अनुभव करना पड़ता है, जिनका यदि समय पर समाधान न किया जाए तो इसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
युवावस्था में लड़कों को कौनसे मानसिक तनावों से गुजरना पड़ता है
1. करियर और पढ़ाई का दबाव
युवावस्था के दौरान लड़कों पर सबसे बड़ा तनाव करियर और पढ़ाई से जुड़ा होता है। समाज और परिवार की अपेक्षाओं के चलते उन्हें हमेशा अच्छे अंक प्राप्त करने, सही करियर विकल्प चुनने और उसमें सफल होने का दबाव रहता है। यह मानसिक तनाव कई बार आत्मविश्वास की कमी, डर और चिंता का कारण बन सकता है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
2. शारीरिक बदलाव और आत्म-सम्मान
युवावस्था में लड़कों के शरीर में भी कई बदलाव होते हैं, जैसे कि शारीरिक विकास, हार्मोनल परिवर्तन, और मांसपेशियों का विकास। ये बदलाव उनके आत्म-सम्मान और आत्म-छवि पर असर डाल सकते हैं। यदि वे अपने शरीर से संतुष्ट नहीं होते, तो इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है। सोशल मीडिया और फिल्मों में दिखाए जाने वाले 'आदर्श पुरुष शरीर' का दबाव भी उन्हें आत्म-संदेह में डाल सकता है।
3. सामाजिक दबाव और मित्रता
युवावस्था में लड़कों को अपने दोस्तों और सामाजिक दायरे मे पहचान बनाने का दबाव होता है। इस दौरान उनके मित्रों का प्रभाव अधिक होता है, और कई बार वे दूसरों को खुश करने या सामाजिक रूप से स्वीकार्य बनने के लिए गलत फैसले ले सकते हैं। इस सामाजिक दबाव में फिट होने के लिए कई लड़के धूम्रपान, शराब, या अन्य गलत आदतों की ओर आकर्षित हो सकते हैं, जिससे मानसिक तनाव और चिंता उत्पन्न हो सकती है।
4. भविष्य की अनिश्चितता
युवावस्था में एक और बड़ा मानसिक तनाव भविष्य की अनिश्चितता से जुड़ा होता है। करियर, नौकरी, और व्यक्तिगत जीवन को लेकर असमंजस में रहने से लड़कों को अपने भविष्य को लेकर चिंता हो सकती है। वे लगातार इस सोच में रहते हैं कि क्या वे सही दिशा में जा रहे हैं और क्या वे अपने और अपने परिवार की अपेक्षाओं को पूरा कर पाएंगे।
5. भावनाओं को व्यक्त करने की असमर्थता
समाज में लड़कों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने भावनाओं को ज़ाहिर न करें और हमेशा मजबूत बने रहें। इस धारणा के कारण वे अपने दुख, तनाव, और चिंता को भीतर ही दबा लेते हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इस दबाव से निपटना उनके लिए मुश्किल हो सकता है और यह उन्हें अवसाद या अन्य मानसिक समस्याओं की ओर धकेल सकता है।