PCOD and PCOS: Symptoms, Causes, and Treatment: आज के समय में कई युवा लड़कियों में पीसीओडी और पीसीओएस के लक्षण पाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी सही जानकारी का अभाव है। इन दोनों स्थितियों को समझना जरूरी है, तभी ये हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करती हैं, इसका पता चल सकता है।
अक्सर महिलाओं को PCOD और PCOS में अंतर समझने में परेशानी होती है। यही नहीं, कई महिलाएं इनके बारे में बिल्कुल नहीं जानतीं. ये दोनों स्थितियां महिलाओं के शरीर को किस तरह प्रभावित करती हैं, ये जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में लगभग 13% महिलाओं को पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या होती है। इसी वजह से इन बीमारियों के बारे में सही और समय पर जानकारी देना मुश्किल हो जाता है।
PCOD और PCOS क्या हैं?
पीसीओएस का मतलब है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जबकि पीसीओडी का मतलब है पॉलीसिस्टिक ओवरीयन डिजीज। हालांकि दोनों में कुछ लक्षण और शरीर पर प्रभाव समान होते हैं, लेकिन इनके अर्थ अलग हैं।
पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर में सामान्य से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन निकलते हैं। इस हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं में अक्सर मासिक चक्र अनियमित हो जाता है और गर्भवती होने में भी दिक्कत होती है। इसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें 12 से 51 साल की उम्र वाली महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन होता है। इससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, चेहरे पर अनचाहे बाल आने लगते हैं, शरीर पर बाल बढ़ने लगते हैं और दिल की बीमारियों और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है।
पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जहां महिला के अंडाशय बड़ी संख्या में अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे का निर्माण करते हैं। समय के साथ, ये अंडाशय में गांठ (cyst) बन जाते हैं, जिससे अंडाशय का आकार बढ़ जाता है। ये गांठ अतिरिक्त पुरुष हार्मोन का उत्पादन करने लगती हैं। इन हार्मोनों को एण्ड्रोजन कहा जाता है और ये बांझपन, अनियमित मासिक चक्र, बालों का झड़ना और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं पैदा करते हैं।
इलाज और उपचार (Cures and Treatments)
पीसीओडी और पीसीओएस दोनों में सामान्य लक्षण मासिक चक्र का रुक जाना या अनियमित होना, मासिक धर्म के दौरान ज्यादा खून बहना, अत्यधिक बालों का बढ़ना, मुंहासे, वजन बढ़ना, बालों का झड़ना और त्वचा का काला पड़ना शामिल हैं। इन लक्षणों को कम करने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव किए जा सकते हैं, जैसे कम चीनी और कार्बोहाइड्रेट वाला स्वस्थ और फाइबर युक्त आहार लेना, जंक फूड से परहेज करना और नियमित व्यायाम करना। पीसीओडी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इन उपायों से लक्षणों को कम किया जा सकता है और उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। पीसीओएस का इलाज कुछ दवाओं से किया जा सकता है, जैसे महिला हार्मोनल गोलियां और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन वाली गर्भनिरोधक गोलियां। इंडोमेट्रियल कैंसर और मधुमेह की संभावना को कम करने के लिए अतिरिक्त दवाएं ली जा सकती हैं। फिर भी, किसी भी लक्षण को महसूस होने पर डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है ताकि बेहतर और अधिक पेशेवर मदद मिल सके।
इसके साथ ही, महिलाओं के साथ ही, महिलाओं के स्वास्थ्य, प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना भी जरूरी है। महिलाओं के शरीर और प्रजनन स्वास्थ्य पर उनके स्वामित्व के लिए चिकित्सा संबंधी जानकारी और संसाधनों को संकलित और प्रसारित करने की आवश्यकता है। जब महिलाएं अपनी शारीरिक संरचना और स्वास्थ्य के बारे में अनजान होती हैं, तो यह न केवल उन्हें खतरे में डालता है बल्कि यह समाज के लिए महिलाओं की शारीरिक संरचना को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के संदर्भ में नियंत्रित करने का एक उपकरण बन जाता है।