जानिए Hormonal Changes का आपके मूड पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन होते हैं, जो रासायनिक दूत के रूप में काम करते हैं। ये हार्मोन ग्रंथियों द्वारा बनाए जाते हैं और रक्तप्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचते हैं, जहां वे विभिन्न कोशिकाओं को संदेश भेजते हैं।

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Anusha Ghosh
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(Credit : Marion Gluck Clinic )

Hormonal Changes: हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन होते हैं, जो रासायनिक दूत के रूप में काम करते हैं। ये हार्मोन ग्रंथियों द्वारा बनाए जाते हैं और रक्तप्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचते हैं, जहां वे विभिन्न कोशिकाओं को संदेश भेजते हैं। ये संदेश कई शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, जिनमें हमारा मूड भी शामिल है।

हार्मोनल बदलावों का हमारे मूड पर 5 प्रभाव 

1. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन

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महिलाओं में, ये दो हार्मोन मासिक धर्म चक्र के दौरान उतार-चढ़ाव का अनुभव करते हैं। एस्ट्रोजन का स्तर चक्र के मध्य में बढ़ जाता है, जो आमतौर पर ऊर्जा और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है। वहीं दूसरी ओर, प्रोजेस्ट्रोन का स्तर चक्र (कोहन) में बढ़ता है, जो चिंता, थकान और चिड़चिड़ापन जैसी भावनाओं को जन्म दे सकता है। ये बदलाव प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) के लक्षणों का कारण बन सकते हैं, जो कई महिलाओं को अपने मासिक धर्म से पहले अनुभव होता है। 

2. टेस्टोस्टेरोन

टेस्टोस्टेरोन को अक्सर पुरुष सेक्स हार्मोन के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह महिलाओं में भी कम मात्रा में पाया जाता है। टेस्टोस्टेरोन का स्तर आत्मविश्वास, ऊर्जा के स्तर और यौन इच्छा को प्रभावित कर सकता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर चिड़चिड़ापन, थकान और अवसाद का कारण बन सकता है। महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी से यौन इच्छा में कमी और मनोदशा में बदलाव आ सकता है।

3. कोर्टिसोल

कोर्टिसोल को तनाव हार्मोन के रूप में जाना जाता है। यह हार्मोन शरीर को तनाव की स्थिति से निपटने में मदद करता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हमें सतर्क और सतर्क रहने में मदद मिलती है। लेकिन, अगर कोर्टिसोल का स्तर लंबे समय तक ऊंचा रहता है, तो यह चिंता, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन जैसी भावनाओं को जन्म दे सकता है।

4. सेरोटोनिन

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सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जिसे अक्सर "खुशी का रसायन" कहा जाता है। यह मूड, नींद, पाचन और भूख को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेरोटोनिन का निम्न स्तर अवसाद, चिंता और थकान से जुड़ा हुआ है। कुछ हार्मोन, जैसे एस्ट्रोजन, सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं, यही वजह है कि मासिक धर्म से पहले या रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में अवसाद का खतरा बढ़ सकता है।

5. ऑक्सीटोसिन

ऑक्सीटोसिन को "प्रेम हार्मोन" के रूप में जाना जाता है। यह हार्मोन सामाजिक संबंध, विश्वास और स्नेह की भावनाओं को बढ़ावा देता है। ऑक्सीटोसिन का स्तर शारीरिक स्पर्श, जैसे गले लगना या हाथ पकड़ना, के साथ बढ़ सकता है। यह हार्मोन तनाव को कम करने और खुशी की भावनाओं को बढ़ाने में भी मदद करता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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