Toxic Positivity बनाम असली मेंटल हेल्थ केयर

Toxic Positivity बनाम असली मेंटल हेल्थ केयर, जानें कैसे दिखावटी सकारात्मकता आपकी मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है और सही देखभाल का तरीका क्या है।

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Vedika Mishra
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toxic positivity (freepik)

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आज के दौर में "Stay Positive" और "Good Vibes Only" जैसी बातें आम हो गई हैं लेकिन क्या हमेशा सकारात्मक बने रहना सही है? Toxic Positivity एक ऐसी सोच है जिसमें हर परिस्थिति में जबरदस्ती खुश रहने या पॉजिटिव रहने पर ज़ोर दिया जाता है भले ही व्यक्ति गहरी भावनात्मक परेशानियों से गुजर रहा हो। असली Mental Health Care का मतलब सिर्फ खुश रहना नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को समझना, स्वीकारना और उनसे सही तरीके से निपटना है।

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Toxic Positivity बनाम असली मेंटल हेल्थ केयर

Toxic Positivity वह मानसिकता है जिसमें नकारात्मक भावनाओं को दबाने या अनदेखा करने पर ज़ोर दिया जाता है। यह सोचती है कि किसी भी स्थिति में दुख, गुस्सा, चिंता या तनाव जैसी भावनाओं को महसूस करना गलत है। उदाहरण के लिए:

  • सब ठीक हो जाएगा इतना मत सोचो 
  • इतने नेगेटिव क्यों हो रहे हो ? खुश रहो 
  • असली खुशी तुम्हारे अंदर है बस सोच बदलो 
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इस तरह की बातें सुनने में सकारात्मक लग सकती हैं लेकिन जब ये किसी की असली समस्याओं और भावनाओं को नकारने लगती हैं तो ये मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

Toxic Positivity के नुकसान

  1. भावनाओं को दबाने की आदत – जब हम खुद को यह मानने पर मजबूर करते हैं कि सिर्फ पॉजिटिव रहना सही है तो हम अपनी वास्तविक भावनाओं को दबाने लगते हैं। इससे emotional suppression होता है जो आगे चलकर anxiety और depression को जन्म दे सकता है।
  2. कम्युनिकेशन में दूरी – अगर किसी व्यक्ति को जब भी वह दुखी हो यह सुनने को मिले कि "खुश रहो" या "इतना मत सोचो," तो वह अपनी भावनाएं दूसरों से साझा करना बंद कर सकता है।
  3. गिल्ट फील कराना – जब कोई व्यक्ति परेशान होता है और उसे यह सुनने को मिलता है कि "तुम्हें तो खुश रहना चाहिए," तो वह खुद को और ज्यादा दोषी महसूस करने लगता है। इससे self-doubt और low self-esteem की समस्या बढ़ सकती है।
  4. मेंटल हेल्थ इश्यूज़ को गंभीरता से न लेना – Toxic Positivity मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को हल्के में लेने के लिए मजबूर कर सकती है। इससे लोग जरूरी इलाज, काउंसलिंग या थेरेपी से दूर हो सकते हैं।
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असल Mental Health Care क्या है?

सच्ची मानसिक देखभाल का मतलब सिर्फ खुश रहना नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को स्वीकार करना और स्वस्थ तरीके से उनसे निपटना है।

  1. अपनी भावनाओं को महसूस करें – दुख, गुस्सा, चिंता और डर जैसी भावनाएं भी इंसान के लिए उतनी ही ज़रूरी हैं जितनी खुशी। इन्हें दबाने के बजाय समझना जरूरी है।
  2. सेल्फ-एक्सप्रेशन की आज़ादी दें – जब कोई दोस्त या परिवार का सदस्य दुखी हो तो उसे सिर्फ "खुश रहो" कहने के बजाय उसकी बातें सुनें और उसे सपोर्ट करें।
  3. जर्नलिंग और थेरेपी को अपनाएं – अपनी भावनाओं को शब्दों में लिखने से या प्रोफेशनल मदद लेने से मानसिक शांति पाई जा सकती है।
  4. संतुलित सोच अपनाएं – न तो हर समय नेगेटिव रहना सही है और न ही जबरदस्ती पॉजिटिव बने रहना। ज़रूरी है कि हम संतुलित तरीके से हर स्थिति को देखें और खुद को ठीक तरह से समझें।
  5. Self-Care को प्राथमिकता दें – मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए नियमित रूप से मेडिटेशन, एक्सरसाइज, अच्छी नींद और हेल्दी डाइट को अपनाएं।
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Toxic Positivity दिखने में आकर्षक लग सकती है लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। असली Mental Health Care का मतलब सिर्फ पॉजिटिव रहना नहीं बल्कि अपनी सभी भावनाओं को महसूस करना, समझना और सही तरीके से संभालना है। ज़रूरी है कि हम खुद को और दूसरों को अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने की आज़ादी दें और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।

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